(विज्ञान-आलेख)
पेट्रोलियम के लगातार दोहन से पर्यावरण के असंतुलन के खतरे और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के बीच कम होते पेट्रोलियम ईंधन के बीच गैरपरंपरागत या अक्षय ऊर्जा को वर्तमान दौर में प्राथमिकता दिया जा रहा है। लोग पेट्रोलियम जनित्र वाहन की जगह अब ईवी यानी इलेक्ट्रिक वाहन की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैँ। बढ़ते पेट्रोल/डीजल के दाम इसके प्राथमिक कारणों में से एक है। लेकिन लोगों की विवशता है की वे पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से पूरी तरह से किनारा नहीं कर सकते हैं। सबसे बड़ी वजह है, ईवी वाहनों की बैटरी के चार्ज और एक चार्ज पर माईलेज यानी औसतन 100-120 किलोमीटर का सफर संभव है। कहने का तात्पर्य है की छोटी दूरी के लिए ईवी उपयुक्त हैं लेकिन लम्बी दूरी के लिए कारगर विकल्प के रूप में नहीं दिखाई देती है। लेकिन वर्तमान दौर में ईवी पर कई शोध हो रहे हैं।जो ईवी को और उन्नत और किफायती बनाने की होड़ में ईवी के बैटरी पर कई प्रकार के शोध हो रहे हैं। ईवी को एक ऐसे वाहन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे एक इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित किया जा सकता है जो बैटरी से बिजली खींचती है और बाहरी स्रोत से चार्ज होने में सक्षम है। यानी ईवी में बैटरी प्रधान है, जो चार्ज होती है और एक चार्ज पूरी करने में कम से कम 5-7घंटें लेती है। यानी आम लोगों के उपयोगिता के आधार रात्रिकालीन समय में ही चार्ज संभव है। ऐसे में यदि लम्बी दूरी तय करना या सफर के दौरान बैटरी खत्म होने की स्थिति में दोबारा चार्ज करना ईवी चालक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ईवी जिसकी बैटरियां लिथियम-आयन से बनती है। भारतीय शोधकर्ताओं ने एक नई एनोड सामग्री की खोज की है, जो लिथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) की लाइफ और फास्ट चार्जिंग सुनिश्चित करने में मददगार हो सकती है। यह खोज बैटरी-आधारित उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अल्ट्रा-फास्ट गति से चार्ज करने में मदद कर सकती है। यह अध्ययन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर के शोधकर्ताओं ने जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से किया था। नई द्वि-आयामी एनोड सामग्री को टाइटेनियम डाइबोराइड से प्राप्त नैनो शीट का उपयोग करके विकसित किया गया है। जो सैंडविच के ढेर जैसा दिखता है, जहां धातु के अणु बोरॉन की परतों के बीच मौजूद होते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस नवाचार में प्रयोगशाला से वास्तविक जीवन के धरातल पर उतरने की क्षमता है।
एलआईबी में नकारात्मक इलेक्ट्रोड के रूप में एनोड सामग्री होती है, जो ली-आयन बैटरी सेल में कैथोड सामग्री से जुड़ी होती है। लिथियम-आयन सेल में एनोड सामग्री मेजबान के रूप में कार्य करती है, बैटरी के चार्ज या डिस्चार्ज चक्र के दौरान लिथियम-आयन इंटरकलेशन / डी-इंटरकलेशन को सक्षम करती है। ग्रेफाइट एनोड के साथ एलआईबी, अत्यधिक ऊर्जा घनत्व वाले, एक इलेक्ट्रिक वाहन को एक बार चार्ज करने पर सैकड़ों किलोमीटर तक चला सकते हैं। हालांकि, सुरक्षा के मोर्चे पर इसकी चुनौतियां हैं क्योंकि वे आग के खतरों से ग्रस्त हैं। लिथियम टाइटेनेट एनोड सुरक्षित और अधिक पसंदीदा विकल्प हैं, और वे फास्ट चार्जिंग की सुविधा भी देते हैं। लेकिन, उनके पास कम ऊर्जा घनत्व है, इसलिए उन्हें अधिक बार रिचार्ज करने की आवश्यकता होगी। एनोड सामग्री लिथियम-आयन बैटरी में नकारात्मक इलेक्ट्रोड है और लिथियम-आयन बैटरी सेल में कैथोड सामग्री के साथ जोड़ा जाता है। लिथियम-आयन कोशिकाओं में एनोड सामग्री मेजबान के रूप में कार्य करती है, जहां वे चार्ज या डिस्चार्ज चक्र के दौरान लिथियम-आयन इंटरकलेशन/डी-इंटरकलेशन की अनुमति देते हैं। नैनोशीट्स आधारित एनोड सामग्री द्वारा सक्षम ली-आयन बैटरी में बढ़त है क्योंकि वे अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग टाइम (मिनटों के भीतर पूर्ण चार्ज), लंबे जीवन चक्र और एनोड तैयार करने के लिए उपयोग की जाने वाली नैनोशीट की उच्च क्षमता प्रदान करती हैं।
सारकरण में आम भाषा में कहें तो शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीकी विकसित की है जिससे ईवी के बैटरी को तेजी से,लम्बे समय के लिए और अधिक दूरी के लिए चार्ज किया जा सकता है। संभवतः यह प्रायोगिक मॉडल जल्द ही बाजार में उतारा जाए और ईवी की कम दूरी पर उपयोगिता के समीकरण ध्वस्त होकर पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों को सड़क से बाहर का रास्ता दिखाए। बहरहाल, वर्तमान दौर में पेट्रोलियम के दोहन से प्रकृति संतुलन में प्रतिकूल स्थिति तो है। साथ में बढ़ते प्रदुषण से निजात के लिए ईवी और अक्षय ऊर्जा से चलने वाले वाहनों की उन्नत मॉडल का बाजार में आना प्राकृतिक संतुलन के लिए यांत्रिक प्रयास को परिभाषित करेगा।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़