(अभिव्यक्ति)
बेरोज़गारी शब्द उस स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ एक व्यक्ति सक्रिय रूप से रोज़गार की तलाश करता है लेकिन काम पाने में असमर्थ होता है। बेरोजगारी को अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। बेरोजगारी का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपाय बेरोजगारी दर है । इसकी गणना श्रम बल में लोगों की संख्या से बेरोजगार लोगों की संख्या को विभाजित करके की जाती है।
बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार 1 अप्रैल 2023 से राज्य में बेरोजगारी भत्ता योजना शुरू किया गया है। योजना के तहत राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं को 2500 रुपये मासिक भत्ता देगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए बजट में 250 करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की है। राज्य की बेरोजगारी भत्ता योजना की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी जब उन्होंने 6 मार्च 2023 को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1,21,500 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया था। बेरोजगारी भत्ता योजना का आवेदक छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना चाहिए। योजनान्तर्गत 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के बेरोजगार युवकों, जिन्होंने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की है तथा जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.50 लाख से कम है, को 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता दिया जायेगा। इसके अतिरिक्त, उसे छत्तीसगढ़ के किसी भी जिला रोजगार और स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्र में नामांकित होना चाहिए, और आवेदन के वर्ष के 1 अप्रैल को कम से कम दो वर्षों के लिए उसका रोजगार पंजीकरण होना चाहिए। बेरोजगारों को सीधे उनके बैंक खातों में 2500 रुपये का मासिक भुगतान प्राप्त होगा। बेरोजगार युवाओं को भी अपने कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण प्राप्त होगा, और फलस्वरूप काम खोजने में सहायता मिलेगी।
लेकिन इस योजना का भार संभवतः जनता पर ही पड़ेगा। इसे ऐसे समझते हैं कि, सरकार के आय का प्राथमिक स्रोत करों और गैर-कर राजस्व से है। कर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीकों से एकत्र किए जाते हैं। प्रत्यक्ष करों में आयकर, वास्तविक संपत्ति कर, व्यक्तिगत संपत्ति कर, या संपत्तियों पर कर शामिल हैं; जबकि कुछ अप्रत्यक्ष कर मोड में जीएसटी, सीमा शुल्क और स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) शामिल हैं। दूसरी ओर, गैर-कर राजस्व सरकार द्वारा करों के अलावा अन्य स्रोतों से अर्जित आवर्ती आय है। इसके तहत शीर्ष प्राप्तियां ब्याज और लाभांश और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से प्राप्त लाभ हैं। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स या जीएसटी ने अप्रत्यक्ष कर एकत्र करने के तरीके में एक पूर्ण बदलाव किया। 2016-17 में प्रत्यक्ष कर (व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स) कुल राजस्व का 51.3 फीसदी था और शेष अप्रत्यक्ष करों से आया था।2020-21 में यह आंकड़ा 56.4 फीसदी, कॉर्पोरेट टैक्स 28.1फीसदी और व्यक्तिगत आयकर 28.3 फीसदी था।2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था शुरू होने के बाद, केंद्र का अप्रत्यक्ष कर संग्रह का प्रमुख स्रोत जीएसटी में बदल गया। जीएसटी ने एक दर्जन से अधिक राज्य लेवी को समाहित कर लिया और अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क के अपवाद के साथ) को ओवरहाल कर दिया। कर अब जीएसटी परिषद द्वारा तय किए जाते हैं न कि सरकार द्वारा। 2020-21 में, 28.5फीसदी राजस्व जीएसटी से आया, उसके बाद कॉर्पोरेट टैक्स और व्यक्तिगत आयकर क्रमशः 28.1फीसदी और 28.3 फीसदी रहा है। इन्हीं मदों से प्राप्त करों को सरकार/ राज्य सरकारों के द्वारा बजट में पेश कर विभिन्न योजना का क्रियान्वयन करती है। यानी बेरोजगारी भत्ता योजना में वितरीत रूपयों का अतिरिक्त भार जनता के करों से संग्रहित पैसों पर पड़ेगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ जनसम्पर्क में प्रकाशित खबरे के हवाले से सीएमआईई के मई-अगस्त 2018 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 3.22 प्रतिशत थी। राज्य शासन की योजनाओं से इसमें उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। बेरेाजगारी की दर छत्तीसगढ़ में माह दिसंबर 2022 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है। लेकिन वर्तमान दौर में बेरोजगारी भत्ते के लिए सीएससी सेंटर्स में युवाओं की बढ़ती भीड़ अलग ही कहानी बयां करते हैं।
बहरहाल, बेरोजगारी भत्ते के मापदंडों और उद्देशिका के आधार पर उस तबके के लोगों के लिए भागीरथ साबित होगा।जो वास्तव में बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़