Tuesday, January 31, 2023

लोगों का काम है कहते रहना....!!!



                (अभिव्यक्ति) 


ऐसा तो बिलकुल नहीं है की लोग आपके बारे में बात नहीं करते हैं। सच कहूँ तो, निश्चित ही बात करते हैं। मीन-मेख निकालते हैं, कुछ तो इतने बड़े फंतासी को जन्म दे देते हैं कि आपके बारे में कपोल कल्पनाओं के गागर में सागर लपेट देते हैं। वैसे ऐसा नहीं है की इन सब से लोगों को असर नहीं होता है। निश्चय ही असर होता है; कभी खीझ, कभी चीढ़ या फिर शाब्दिक घमासान में टकराव तो अवश्य देखने को मिलता है। 
            वास्तव में निंदा और निंदक के जन्म का कारण क्या हो सकता है? इसका अनुमान लगाने का प्रयास करें तो आप तीन विभिन्न स्तर पर इन्हें श्रेणी बद्ध पाते हैं। ये श्रेणियां निंदक नहीं अपितु आपके अंदर की सकारात्मकता का प्रभाव है। जैसे पहले स्तर में आप देखते हैं की लोग आपको चारी यानी गॉसिप का विषय बना दिये हैं। इससे बचने के लिए अपने आप को छुपाते फिरते हैं। स्वाभाविक है आप दूसरों की तुलना में ज्यादा असहज समझने लग जाते हैं। दूसरा स्तर, इस स्तर में लोगों के निंदा,गॉसिप को सुनकर आप क्रोधानुकरण कर लेते है। संभव है विरोध के स्तर पर घर्षण का जन्म लेना तो स्वाभाविक है। ये टकराव क्षणिक है मगर वैमनस्यता को बीजारोपण पूरे जीवन भर के लिए हो जाता है। इस स्थिति पर भी आप सकारात्मक हैं और स्थितियों से पार कर जाते हैं।
              तीसरा स्तर, जिसमें आप लोगों के बातों का उनके निजी विचारों से अपनी दुनियाँ को पृथक रखते हैं। इसे ऐसे समझने का प्रयास करें की लोग आपके विषय में चाहे जो कहें लेकिन आप अपने कार्य में लगे रहते हैं। जैसे अपने दुनिया में मदमस्त हाथी के भांति चलते रहते हैं। आपके आलोचकों में स्वान की भांति भोकने का गुण चाहे कुट-कुट कर क्यों ना भरा हो। आपको तनिक भी परवाह नहीं होता है। 
           सारांश यह है कि लोगों की प्रतिक्रिया के परवाह से परे अपने लक्ष्यों के प्रति निष्ठावान रहें। क्योकि वहीं लोग ही निंदा, आलोचना और कटाक्ष करते हैं। जो जीवन के पृष्ठभूमि पर आप से कमतर हों। कभी भी आप से ज्यादा सफल व्यक्ति आपकी बुराई कभी नहीं करता है। वरन, वे लोग ही आपके निजी प्रतिक्रियाओं की गणना करते रहते हैं जिनके पास फ्री का समय है। जबकि हर मेहनतकश व्यक्ति के लिए  समय बहुमूल्य धन होता है।

लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़