Tuesday, January 3, 2023

बिजली की वर्तमान खपत और भावी विकल्पों की तलाश :प्राज


                             (अभिव्यक्ति)


औद्योगिक क्रांति ने मानव-निर्मित बिजली के हमारे उपयोग की शुरुआत की। अधिकांश लोग 1752 में बिजली की 'खोज' करने का श्रेय बेंजामिन फ्रैंकलिन को देते हैं, जो उन्होंने यह महसूस करके किया था कि बिजली गिरने से निकलने वाली चिंगारी बिजली पैदा कर सकती है। बिजली का पहला व्यावहारिक अनुप्रयोग वर्ष 1831 में माइकल फैराडे द्वारा विद्युत डायनेमो का आविष्कार था। इसने दुनिया भर में एक विद्युत क्रांति की शुरुआत की। थॉमस एडिसन ने वर्ष 1878 में प्रकाश बल्ब का आविष्कार किया। 1800 के दशक के अंत में, निकोला टेस्ला ने प्रत्यावर्ती धारा और प्रेरण मोटर का आविष्कार किया। बहरहाल विद्युत की खोज और विभिन्न विद्युत जनित्रों के अविष्कारों ने विद्युत केन्द्रों के गठन के परिप्रेक्ष्य में मार्ग प्रशस्त किया। बात करें भारत वर्ष में पावर स्टेशन स्थापना की तो, हुसैन सागर थर्मल पावर स्टेशन एक ऐतिहासिक थर्मल पावर प्लांट है जो हैदराबाद, तेलंगाना में हुसैन सागर के तट पर स्थित था। यह भारत का पहला थर्मल पावर स्टेशन, जिसे 1920 में हैदराबाद के तत्कालीन सातवें निज़ाम द्वारा खोला गया था। प्रति दिन लगभग 200 टन कोयले की खपत पर उत्पादन 22.5 मेगावाट था। संयंत्र 1972 तक पूरी तरह से चालू था जब दो इकाइयां बंद हो गईं। 1984 में, व्यावहारिक कारणों से उत्पादन अधिकतर समाप्त हो गया। हालाँकि, 1992 तक संयंत्र का उपयोग रुक-रुक कर किया जाता था। 1995 में संरचना को ध्वस्त कर दिया गया था।
                  भारत में विद्युत के तापीय ऊर्जा संयंत्र ही सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत हैं। तापीय ऊर्जा संयंत्र में, जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, ईंधन तेल एवं प्राकृतिक गैस में स्थित रासायनिक ऊर्जा को क्रमशः तापीय ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा एवं अंततः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। भारत में ऊर्जा (शक्ति) विकास के शुरुआती चरणों से तापीय ऊर्जा स्टेशन बेहद निम्न नेटवर्क कनेक्शन के साथ कई छोटे और व्यापक रूप से छितरी हुई इकाइयों में थे।झारखण्ड के दामोदर घाटी निगम परियोजना के तहत् बोकारो में 60 मेगावाट के चार ऊर्जा स्टेशनों की स्थापना भारत में बड़े पैमाने पर तापीय ऊर्जा के विकास की दिशा में प्रथम कदम रहा है। यह पॉवर स्टेशन बाद में विकसित किए गए तापीय ऊर्जा स्टेशनों की वृहद श्रृंखला का अगुवा रहा। थर्मल पावर का वितरण अपरिवर्तनीय होता है। पश्चिमी क्षेत्र तापीय ऊर्जा की निगरानी रखता है। विशेष तौर पर बड़े पावर प्लांट्स की स्थापना द्वारा, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड की तापीय विद्युत उत्पादन के विकास में भूमिका महती है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:उत्तर प्रदेश मे सिंगरौली,छत्तीसगढ़ में कोरबा,आंध्र प्रदेश में रामागुंडम और पश्चिम बंगाल में फरक्का इत्यादि  संचालित इकाईयां है। एन.टी.पी.सी. लिमिटेड हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत परियोजना के लिए भी उत्तरदायी है। तापीय उर्जा स्टेशनों को अक्सर कोयले की दयनीय एवं अनियमित आपूर्ति, ऊर्जा संयंत्र की निरंतर अक्षमता, इत्यादि गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा है। तापीय ऊर्जा स्टेशनों के लिए आपूर्ति होने वाले कोयले में प्रायः राख की मात्रा अधिक होती है। अंततः, निम्न दर्जे के उपकरणों की आपूर्ति और बिक्री पश्चात् सेवा का अभाव भी स्थिति को बदतर बनाते हैं।
         हमारे राज्य छत्तीसगढ़ में ताप विद्युत गृह क्रमशः डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह, कोरबा पूर्व, हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम, कोरबा पश्चिम विस्तार संयंत्र, अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह, मड़वा जांजगीर-चांपा स्थापित हैं वहीं जल विद्युत गृह क्रमश: मिनीमाता हसदेव–बांगो जल विद्युत गृह, जल विद्युत गृह गंगरेल धमतरी, जल विद्युत गृह सिकासार गरियाबंद, लघु जल विद्युत गृह (कोरबा पश्चिम)एवं भोरमदेव सह उत्पादन, कबीरधाम की विद्युत उत्पादन इकाईयां है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में हॉफ बिजली बिल स्कीम अंतर्गत वर्ष 2020-21 में अगस्त 2021 तक राज्य के लगभग 40.22 लाख उपभोक्ताओं को रू. 405.89 करोड़ की छूट दी जा चुकी है। वर्ष 2020-21 में राज्य के उपभोक्ताओं द्वारा कुल 23,361.34 मिलियन यूनिट विद्युत की खपत की गई; जो वर्ष 2019-20 की खपत से 2.49 प्रतिशत अधिक है।
         राज्य की सांख्यिकी सर्वेक्षण बताती है कि वर्ष 2020-21 में उपभोक्ताओं से विद्युत खपत एवं अन्य चार्ज के विरूद्ध कुल रु. 13,294.53 करोड़ का राजस्व संग्रहण किया गया। लोगों की बढ़ती बिजली की उपयोगिता एक ओर तो सतत् बढ़ रही है।वहीं दूसरी ओर बिजली के उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन असंतुलन की स्थिति को जन्म दे रही है। वास्तव  में हमें स्वच्छ ऊर्जा के लिए प्रयास करना आवश्यक है। स्वच्छ ऊर्जा उन उत्पादन प्रणालियों से आती है, जो किसी भी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करती हैं। विशेष रूप से CO2 जैसी ग्रीनहाउस गैसें, जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं। इसलिए, स्वच्छ ऊर्जा - पूर्ण विकास में पर्यावरण के संरक्षण के लिए आगे बढ़ती है और गैस और तेल जैसे गैर-नवीकरणीय ईंधन के साथ संकट को कम करती है। उदाहरण के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और पनबिजली ऊर्जा सभी प्रकार की स्वच्छ ऊर्जा हैं। लेकिन प्रत्येक का उपयोग थोड़े अलग तरीके से किया जाता है। सौर ऊर्जा बहुमुखी है और इसका उपयोग पानी और इमारतों, बिजली उपकरणों को गर्म करने और घरों को रोशनी प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। बिजली बनाने के लिए भी सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़