Wednesday, January 11, 2023

10 रूपये के सिक्के के अस्तित्व की लड़ाई : प्राज


  
              (अभिव्यक्ति)

मनुष्य सभ्यता के विकसित अवस्थिति केे पश्चात्  के बहुत से अविष्कारों में से एक रुपये या मुद्रा का अविष्कार है। अकेले इस अविष्कार ने पूरी दुनिया का नक्शा ही बदल दिया है। रुपये के विकास ने ना केवल पूरी दुनिया में आर्थिक और सामाजिक तत्रों का विकास किया है बल्कि लोगों के जीने के तरीकों को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है। पुरातन समय में 256 दमड़ी बराबर 192 पाई बराबर 128 धेला बराबर 64 पैसा बराबर 16 आना और 16 आनों के बराबर 1 रुपया होता है। अर्थात 256 दमड़ी की वैल्यू आज के एक रुपये के बराबर थी। भारतीय वित्त मंत्रालय ने 2011 वर्ष के 30 जून से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं अर्थात अब ये सिक्के भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं।
            बहरहाल, वर्तमान दौर में आप छत्तीसगढ़ के किसी भी ग्रामीण इलाकों में जायेंगे और आप दस रूपये का सिक्का देते हैं तो लोग छोेटे व्यापारी या दुकानदार या फुटकर विक्रेता सीधे 10 के सिक्के लेने से मना कर देते हैं। ऐसा अनुभव मैनें भी देखा है जिसे साझा कर रहा हूँ। बात करें 10 के सिक्कों के चलन तो,भारतीय 10 रुपये का सिक्का भारतीय रुपये का एक मूल्यवर्ग है। ₹10 का सिक्का 2005 में अपनी शुरुआत के बाद से भारत में ढाला गया दूसरा सबसे बड़ा मूल्यवर्ग का सिक्का है। प्रचलन में मौजूद ₹10 का सिक्का 2019 के डिजाइन से है। हालाँकि, 2019 से पहले ढाले गए पिछले ₹10 के सिक्के भी भारत में कानूनी निविदा हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बताए गए सभी ₹10 के सिक्के जिनमें रुपये के चिह्न के साथ और उनके बिना मुद्रा चिह्न नहीं है, कानूनी निविदा हैं। मानक डिजाइनों के साथ, इस मूल्यवर्ग के लिए 4अलग-अलग डिजाइन हैं और इसका उपयोग 10 रुपये के नोट के साथ किया जाता है। दस रूपये के सिक्के के चलन और लिगल टेंडर नहीं होने को लेकर एक बड़ी अफवाह फैली। जुलाई 2016 में, भारत में कुछ दुकानदारों द्वारा ₹10 के सिक्के को पूरी तरह से स्वीकार करने से इनकार करने की सूचना मिली थी। यह सोशल मीडिया पर प्रसारित एक अफवाह का परिणाम था। शुरू में यह दावा किया गया था कि 2011 में पेश किए गए प्रतीक का उपयोग करते हुए 10 पायदान संस्करण की तुलना में ₹ यानी रुपए का प्रतीक की कमी वाले 15 पायदान वाले सिक्के नकली थे।बाद में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि कथित नकली सिक्का 2008 के पहले का डिज़ाइन था; जो 2010 में ₹ प्रतीक को अपनाने से पहले का था, और 2011 के साथ-साथ अभी भी कानूनी प्रचलन में था। डिजाइन और इसे स्वीकार करने से इनकार करने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। फरवरी 2018 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 और 15 रेडिएटिंग लाइनों वाले ₹ 10 के सिक्कों के बारे में एसएमएस टेक्स्ट संदेश भेजने का एक जागरूकता अभियान शुरू किया। यानी दोनो सिक्के जो मुद्रित या टक्सालों से गढ़े गए, दोनों मान्य हैं।
             बीते वर्ष 2022 की 8 फरवरी के राजसभा में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित उत्तर में कहा है कि भारत सरकार के अधिकार के तहत ढाले गए और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा परिचालित विभिन्न आकार, थीम और डिजाइन के ₹10 के सिक्के वैध मुद्रा हैं। सभी लेनदेन में कानूनी निविदा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मंत्री ने राज्यसभा में ए. विजयकुमार द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब दिया कि क्या देश के कई हिस्सों में 10 रुपये के सिक्कों को नकली मानकर स्वीकार नहीं किया जा रहा है। हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि, 10 रुपये के सिक्के को स्वीकार नहीं करने के संबंध में कुछ शिकायतें आम जनता से समय-समय पर प्राप्त होती रही हैं। जागरूकता पैदा करने, गलत धारणाओं को दूर करने और जनता के मन में भय को दूर करने के लिए, आरबीआई समय-समय पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करता है, जिसमें जनता के सदस्यों से बिना किसी झिझक के अपने सभी लेनदेन में सिक्के को कानूनी मुद्रा के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया जाता है। इसके अलावा, जनता के बीच सिक्कों की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए आरबीआई द्वारा राष्ट्रव्यापी एसएमएस जागरूकता अभियान और प्रिंट मीडिया अभियान भी चलाया गया। इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि कुछ व्यापारियों द्वारा सिक्कों को स्वीकार करने की अनिच्छा के बीच ₹10 के सिक्के के सभी 14 डिज़ाइन लेनदेन के लिए वैध और कानूनी निविदा हैं। आरबीआई ने सिक्कों की वैध मुद्रा स्थिति को दोहराते हुए कहा, रिजर्व बैंक के संज्ञान में आया है कि कुछ स्थानों पर व्यापारियों और जनता द्वारा ₹10 के सिक्कों को स्वीकार करने में अनिच्छा होती है, क्योंकि उन्हें विभिन्न डिजाइनों के कारण संदेह होता है। एक बयान में, केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया कि वह सरकारी टकसालों द्वारा ढाले गए सिक्कों को प्रचलन में डालता है। इन सिक्कों ने आगे कहा, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के विभिन्न विषयों को प्रतिबिंबित करने के लिए विशिष्ट विशेषताएं हैं और समय-समय पर पेश की जाती हैं। अब तक रिजर्व बैंक ने 14 डिजाइनों में 10 रुपए के सिक्के जारी किए हैं। ये सभी सिक्के वैध मुद्रा हैं और लेनदेन के लिए स्वीकार किए जा सकते हैं।
            लेकिन सोशल मीडिया में प्रसारित अफवाह की पकड़ इतनी मजबूत है की लोग आज भी 10रूपये के सिक्कों को लेने से परहेज करते नजर आते हैं। वास्तव में किसी तथ्य के बेतूके तर्कों पर लोग गौर नहीं करते,बल्कि लोगों में उन कुतर्कों के इर्द-गिर्द अपनी अपनी धारणा बनाकर उसे और मजबुती प्रदान कर देते हैं।लोगों में व्याप्त धारणाओं के कारण आज भी 10 के सिक्कों का चलन ग्रामीण अंचल में कमतर है।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़