Monday, November 28, 2022

ताल की खेती में छत्तीसगढ़ के किसानों की बढ़ती दिलचस्पी /Increasing interest of farmers of Chhattisgarh in tal cultivation



                 (कृषि)


ताल का तेल या आम बोलचाल में पाम ऑयल एक खाद्य वनस्पति तेल है। जिसे ऑयल ताल फल के मेसोकार्प से प्राप्त किया जाता है। इसके उपयोग के दृष्टि से खाना पकाने, सौंदर्य प्रसाधन, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, केक, चॉकलेट, स्प्रेड, साबुन, शैम्पू और सफाई उत्पादों से लेकर जैव ईंधन तक हर चीज़ में किया जाता है। वास्तविक स्वरूप में पाम ऑयल ताड़ के पेड़ में आने वाले लाल फलों से निकाला जाता है। यह खाने वाला तेल है यानी इसका इस्तेमाल खाने-पीने वाली चीजों को बनाने में किया जाता है। भारत इंडोनिशया और मलेशिया से पाम ऑयल इम्पोट करता है। इस तेल का इस्तेमाल देश में बनने वाले केक, चॉकलेट, कॉस्मेटिक, साबुन और शैंम्पू समेत कई चीजों में किया जाता है। इंडोनेशिया और मलेशिया में पॉम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और जलवायु पाम की खेती के लिए उपयुक्त है। राज्य में इसकी खेती की विपुल संभावनाओं को देखते हुए इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऑयल पॉम प्लांटेशन स्थापित करने के लिए, इसमें समृद्ध, अच्छी तरह से जल निकासी वाली अम्लीय मिट्टी के साथ एक अच्छे साइट प्राप्त करना शामिल है। जमीन में मिट्टी में पोटेशियम, मैग्नीशियम और नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। इसलिए प्राप्त भूमि की पोषक स्थिति का निर्धारण करने के लिए मिट्टी परीक्षण किया जाना चाहिए। वहीं ताल के पेड़ों के संदर्भ में बात करें तो, फसल से उपयुक्त फल पैदा करने में ऑयल पाम को लगभग चार साल लगते हैं। इसके बाद प्रत्येक पेड़ 30 साल तक फल देना जारी रहता है। ताड़ के पेड़ ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होने के लिए जाने जाते हैं। जड़ को नम रखने की आवश्यकता और देशी मिट्टी और ताजी नई मिट्टी के 50/50 मिश्रण के साथ रोपण किया जाता है।
           अभी तक हमारे देश में पॉम ऑयल विदेशों से आयात किया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में हमारे देश में इसकी खेती हो रही है। छत्तीसगढ़ में इसकी अच्छी संभावना है, इसको देखते हुए उद्यानिकी विभाग द्वारा पॉम ऑयल की खेती पर फोकस किया जा रहा है। इससे फसल विविधिकरण के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।  छत्तीसगढ़ की जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल होने के कारण महासमुंद, बालोद, कोरबा,  कांकेर, कोंडागांव, सुकमा क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार,  राज्य में पॉम ऑयल की खेती 7187 हेक्टेयर में की जा रही है और इसका रकबा लगातार बढ़ते जा रहा हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 467.65 मिटरिक टन पॉम ऑयल का उत्पादन हो रहा है। 
         पाम की खेती से एक ओर जहां किसान सशक्त हो रहा है वही दूसरी ओर पाम की खेती पर्यावरण को संतुलन करने में महती भूमिका अदा करती है। यह कार्बन पृथक्करण में मदद करता है। साथ ही टिकाऊ खेती के लिए हरित आवरण को बढ़ाता है। एक एकड़ क्षेत्र में ताड़ के तेल के पेड़ 10 टन कार्बनडाईऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और 11 टन ऑक्सीजन छोड़ते हैं और इस प्रकार पर्यावरण के अनुकूल कार्य करते हैं। पानी और सिंचाई की आवश्यकता अन्य व्यावसायिक रोपण फसलों की तुलना में कम है। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़