Monday, November 28, 2022

सकारात्मक अभिवृत्ति से होते हैं बड़े बदलाव / Big changes happen with positive attitude




               (चिंतन)


वह ध्येय जो जीवन को परिलक्षित करते हुए भविष्य का चित्रण करे, वह विचार कहलाता है। जीवन को किस दृष्टिकोण से आप देखते हैं। आपकी जिज्ञासा जीवन के लक्ष्यों और आपके दायित्वों के प्रति कितने आप ईमानदारी से चिंतन करते हैं। एवं उसके यानी लक्ष्य के लिए पूर्ण विवेकी मन में मंथन करना ही विचार है। ऐसा भी नहीं है की जीवन में यकायक चिंतन विचार स्वतः स्फूर्ति होते हैं। जीवन के निर्बाध प्रवाह में हम रोज बीतते इतिहास और रोजाना के गुजरने वाले दिन से छोटे-छोटे अनुभवों का संग्रहण करते जाते है। यही अनुभव और संग्रह की गई स्मृतियां वैचारिक मंथन के दौर में सहायक की भांति मार्ग प्रशस्त करते हैं। 
           लेकिन विचार यह भी आता है कि यदि अनुभव धनात्मक के बजाय ऋणात्मक हों, तो वैचारिक चिंतन या विचार नकारात्मकता ग्राही नहीं हो सकते हैं। मेरा जवाब है निश्चय ही नकारात्मक हो सकते हैं; लेकिन यहाँ पर विवेक अपनी भूमिका ना निर्वाह पूरी ईमानदारी से करता है, यदि मनुष्य में कुछ करने की जिज्ञासु प्रवृत्ति हो और लक्ष्यों के प्रति अपनी सशक्तता से लबरेज हो। हाँ...! चुनौती इस बात की होती है कि जो विचार आप कर रहे हैं या जिस शैली में आप अपने जीवन को देख रहे हैं।वह महत्वपूर्ण होता है। कुछ ऐसे भी उदाहरण होते हैं जो सिर्फ हालातों, लोगों की भूमिका, क्षेत्रीय कारणों या अवसरों को दोषारोपण करते प्रदर्शित होते हैं। ऐसे में यह भी अवश्य विचार करना आवश्यक है कि, क्या चुनौतियां सिर्फ उसके चिंतन मात्र से या हार मान लेने से खत्म हो जायेगीं। आपका और मेरा जवाब लगभग एक समान ही होंगेे,बिल्कुल नहीं। चुनौतियों से टकराना एक पहलू हो सकता है। चुनौतियों से जूझते हुए परास्त होना, अल्प परिश्रम का द्योतक है। चुनौतियों के डर से पैर पीछे लेना आपकी पराजय नहीं, वास्तव में कायरता है। 
            जीवन के विभिन्न छोटे से छोटे अनुभवों को जीयें और उत्साह का संचयन करें, चिंतन करें। कमियों के हाना से अच्छा है। वैचारिक मंथन में इबारती प्रश्नों की झड़ी लगा दीजिये कि क्या मैं लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता? क्या चुनौतियों/ परीक्षाओं से डरने वाला हूँ? आपके विवेक और जीवित मस्तिष्क का जवाब होगा, बिल्कुल नहीं। जीवन काल में छोटे-छोटे अनुभव आपके चिंतन में पैनापन लाती है। और सकारात्मक अभिवृत्ति या कहें पॉजिटिव एटिट्यूड आपके वैचारिक शक्ति को बढ़ाकर बड़े बदलाव करने का माद्दा रखते हैं।
            हम आज कई ऐसे विचारों के संसार को प्रासंगिक रूप में देख सकते हैं,जो प्राथम्यता  में तो शून्य,न्यून और अकेले थे लेकिन अनुभवों का ग्रहण और जीवन का सफर चलता रहा। विचारों के सकारात्मकता की पुनर्रावृत्तियों में लोगों का कारवां बनते-बनते एक बड़े वैचारिक मत की धारणा बन जाती है। वास्तविक रूप में कहें तो आपके विचारों को विचारधारा में पूर्ण परिवर्तन की शक्ति आपके अंदर सकारात्मक के पुष्प पर निर्भर है। क्योंकि विचारों के सकारात्मक अभिवृत्तियों में बड़े बदलाव के मर्म दिखाई देते हैं।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़

Related Posts: