(मर्मस्पर्शी)
हिन्दू दर्शन की यह मान्यता है कि जीवात्मा स्थूल शरीर छोड़ देती है, तब जाकर अंतिम में मृत्यु होती है। अन्तःकरण चातुष्य यानी मन, बुद्धि, चित्त और अंहकार सहित कारण शरीर यानि भाव शरीर सहित जीवात्मा सूक्ष्म शरीर में ही रहती है, लेकिन अपनी उन्नति के लिए उसे हमेशा हमारे सहयोग की अपेक्षा रहती है। सद्भावनाएं संप्रेषित करने पर बदले में उनसे ऐसा ही सहयोग प्राप्त होता है। इसी परिप्रेक्ष्य में पितृपक्ष का महात्म्य सादर उल्लेखित है कि, 'श्रद्धया इदं श्राद्धम्' तात्पर्य है कि प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो पारिवारिक जनों के द्वारा अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सर्वोच्च सेवा या पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए संतान की अनिवार्यता मानी गई हैं। जन्म देने वाले माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दू दर्शन की वैज्ञानिकता का प्रमाण आप इस अंदाजे से लगा सकते हैं की इन परम्पराओं को लोग कई नजरिये से देखते हैं। परंतु इन परम्पराओं के पीछे के विज्ञान से अनभिज्ञ अल्प बुद्धिलब्धिता का प्रमाण है।
वास्तव में पितृपक्ष में जहाँ एक ओर पूर्वजों को स्मरण का पर्व है वहीं पितृपक्ष पक्षियों के संरक्षण का संदेश देता है। वहीं आत्मा के रूपांतरण या सीधे वैज्ञानिकता के स्वरों में कहें तो ऊर्जा(आत्मा) ना तो उत्पत्ति के लिए स्वीकार्य है ना समाप्ति के लिए,केवल रूपांतरण ही संभव है। इसी परिदृश्य में प्रत्येक जीव-जंतू में पवित्र ऊष्मा (आत्मा) की अवधारणा से पितृ की सेवा में पक्षियों के लिए भोजन की धारणा है। जो एक प्रकार से लोगों में जंतू संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
हम में से अधिकांश इस तथ्य से अनजान हैं कि दुनिया भर में कई लुप्तप्राय पक्षी हैं। पक्षियों के संरक्षण के लिए यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कई प्रजातियां अब विलुप्त होने की स्थिति में आ रही हैं। लेकिन बहुत से लोग अभी भी यह नहीं जान पा रहे हैं कि पक्षियों को बचाना क्यों जरूरी है। पक्षी जलवायु में परिवर्तन के सबसे प्रमुख संकेतक हैं। पक्षियों के व्यवहार ने लोगों को पुराने दिनों में खतरों के बारे में जानने में मदद की। यही कारण है कि विज्ञान में अभी भी पक्षियों का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। कई पक्षी प्रजातियां परागणकों के रूप में भी कार्य करती हैं। कई पेड़ तब तक नहीं फैलते जब तक वे पक्षियों द्वारा परागित नहीं हो जाते। कई पक्षियों का पौराणिक महत्व भी है। पक्षी सुंदर हैं और वे निश्चित रूप से अपनी रोजमर्रा की उपस्थिति से हमारे जीवन को समृद्ध करते हैं। पक्षी कई आविष्कारों के लिए प्रेरणा रहे हैं, हवाई जहाज उनमें से एक है।
तो, उपरोक्त सभी कारक पक्षियों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। इसी दर्शिनकता के भाव से ओत-प्रोत पितृ पक्ष का आगमन प्रतिवर्ष होता है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़