Friday, September 23, 2022

स्वस्थ्य जीवन शैली से राष्ट्र के उन्नति के समीकरणों की प्रायिकता/Probability of the equations for the progress of a nation with a healthy lifestyle



                             (अभिव्यक्ति)

मानसिक अवसाद की अवस्थिति एक रोग है जिसे अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार के रूप में जाना जाता है। यह बढ़ने वाली बीमारी है जो हल्के स्मृति हानि से शुरू होती है। संभवतः बातचीत करने और पर्यावरण पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता के नुकसान की ओर ले जाती है। अल्जाइमर रोग में मस्तिष्क के कुछ हिस्से शामिल होते हैं जो विचार, स्मृति और भाषा को नियंत्रित करते हैं। कारणों में संभवतः आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवन शैली कारकों के साथ-साथ मस्तिष्क में उम्र से संबंधित परिवर्तनों का संयोजन शामिल है। अल्जाइमर रोग के जोखिम को बढ़ाने या घटाने का औसत परिवर्तन किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकता है। क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है और अक्सर जीवन अंत की स्थिति ही समाप्ति की द्योतक हो जाती है। अल्जाइमर को एक घातक बीमारी माना जाता है। लेकिन अल्जाइमर से मौत इतनी सीधी नहीं है। वास्तव में, जैसा कि 2020 में जामा न्यूरोलॉजी में एक अध्ययन में पाया गया है कि, 'अल्जाइमर सहित मनोभ्रंश को मृत्यु के कारण के रूप में लगभग तीन गुना कम बताया जा सकता है।'
              अल्जाइमर रोग का नाम डॉ. एलोइस अल्जाइमर के नाम पर रखा गया है। 1906 में, डॉ. अल्ज़ाइमर ने एक महिला के मस्तिष्क के ऊतकों में परिवर्तन देखा, जिसकी मृत्यु एक असामान्य मानसिक बीमारी से हुई थी। वर्ष 1906 में, जर्मन मनोचिकित्सक और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एलोइस अल्जाइमर ने पहली बार उस बीमारी की पहचान की जिसे अल्जाइमर रोग के रूप में जाना गया। उनकी खोज एक 51 वर्षीय महिला, ऑगस्टे डिटर के मामले पर आधारित थी, जिसने अचानक तर्कहीन व्यवहार और स्मृति हानि का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। जर्मन चिकित्सक डॉ. एलोइस अल्जाइमर ने पहली बार "एक अजीबोगरीब बीमारी" का वर्णन किया - गहन स्मृति हानि और सूक्ष्म मस्तिष्क परिवर्तनों में से एक - एक ऐसी बीमारी जिसे अब हम अल्जाइमर के रूप में जानते हैं। 
          अल्जाइमर रोग को रोकने के लिए कोई इलाज या दवा नहीं है, लेकिन डिमेंशिया को रोकना संभव हो सकता है। यहां तक कि आनुवंशिक कारणों से ग्रसित होने  वाले लोगों में भी यह स्थिति एक समान होती है। भारतवर्ष में  समग्र घटना दर 15.54 प्रति 1000 व्यक्ति-वर्ष के लिए 65 वर्ष की आयु के लोगों में थी। इस बिमारी से रोकथाम में प्रमुखता से प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान बंद करना और मद्यपान को कम से कम करना सहायक भूमिका के आवश्यक पहल हैं। स्वस्थ और संतुलित आहार जिसमें हर दिन कम से कम 5 भाग फल और सब्जियां शामिल किये जा सकते हैं। मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि (जैसे साइकिल चलाना या तेज चलना), या जितना आप कर सकते हैं।  हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट के लिए व्यायाम कर ऐसे बीमारी के प्रारंभिक अवस्था में पूर्व या होने के पश्चात भी जीवन शैली को सामान्य किया जा सकता है।
          वर्तमान आपाधापी और नगरीय जीवन व्यतीत करने वाले लोगों की जीवन शैली में भारी प्रदुषण, चिंता और अवसाद की अवस्थिति मनोरोग के कारण बनते हैं। वास्तव में जीवन शैली में योग और ध्यान के लोप से भी शारीरिक क्षमताओं का ह्रास होना प्रदर्शित होता है। बौद्धिक क्षमताओं में कमी और तनावपूर्ण वातावरण के चलते मस्तिष्क में अविराम बोध होना प्रदर्शित होता है जो अस्वस्थ चेतना का कारक है। पूर्ण निंद, ध्यान और योग को दिनचर्या में अपना कर स्वस्थ्य जीवन की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। क्योकि स्वस्थ्य जन से लोक स्वास्थ्य में  संगठित उत्पादकता बढ़ाता है। शारीरिक रूप से तंदरुस्त व्यक्ति स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखता है जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की उपयोगिता कम होती है। जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होने वाले मद का भार कम होता है तो राष्ट्र के अन्य सेवा क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध होगें। जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़