(अभिव्यक्ति)
वर्तमान भारतीय खाद्य पद्धति में लोगों में विदेशी पकवानों को लेकर तृष्णारूपेण धारणा की अशुद्धिकरण स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाले उदाहरणों से परिप्रेक्ष्य में उदाहरण उद्योतकर है। ऐसे खाद्य पदार्थों में एक ओर जहाँ संतुलन की अवस्था से कहीं अधिक स्वाद और चटपटेपन को प्रदर्शित करता है। जिसके कारण स्वास्थ्य पर गंभीर खतरें की आशंकाओं का उद्दीपन हो रहा है।
1770 सन में पोषण और रसायन विज्ञान के पिता एंटोनी लावोज़ियर के द्वारा, चयापचय की अवधारणा, शरीर में गर्मी और पानी में भोजन और ऑक्सीजन का स्थानांतरण, ऊर्जा पैदा करता है यह अवस्था पोषण को परिभाषित करता है। 1800 के दशक की शुरुआत में भोजन के मुख्य घटक कार्बन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के तत्वों को अलग कर दिया गया था। सारकरण में कहें तो भोजन में संतुलन सक्षम स्वास्थ्य का परिचायक है।
संतुलित आहार एक ऐसा आहार होता है, जिसमें समावेशी कुछ पोषक तत्वों की मात्रा और अनुपात में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं। भोज्य पदार्थ में ताकि कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वैकल्पिक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो और पोषक तत्वों के लिए एक छोटा सा भाग आरक्षित रहे। इस प्रकार संगठित भोजन व्यवस्था को संतुलित भोजन कहते हैं। हमारे गृह के खाद्यान्न व्यवस्था में परम्परागत् रूप से भोजन को 7 अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। जिसमें पेय, कार्ब्स, फल और सब्जियां, डेयरी, मांस, मछली, अंडे, वसा सहित उच्च चीनी वाले खाद्य पदार्थ सम्मिलित होते हैं।इनमें से प्रत्येक समूह अलग-अलग पोषक तत्व प्रदान करता है और इसका सेवन अलग-अलग दर से किया जाना आवश्यक है। वास्तव में भोजन के तीन कार्य हैं, पोषण, अवशोषण और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करना है इसके साथ शारीरिक समायोजन की अनिवार्यता होती है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह सिद्ध होता है की जैसे भोजन के निर्माण और खाने की सुविधा के अनुरूप वह शारीरिक क्षमताओं को यातो बढ़ा सकती है या क्षरित कर सकती है। यानी जैसे खाओगे अन्न वैसा होगा मन की लोकोक्ति को इंगित करती है।
बेहतर पोषण शरीर के स्वस्थ वजन को बनाए रखने में सहायक है। सामान्य वृद्धि, विकास और सामान्य तरीके से उम्र बढ़ने में सहयोग करता है और क्रोनिक बीमारी के खतरे को कम करता है। जिससे सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुदृढ़ रहता है। इंसान को स्वास्थ्य शरीर के वजन पर नियंत्रण के लिए भी पोषण युक्त संतुलित भोजन आवश्यक है। शरीर में कैलोरी की अतिरिक्त मात्रा न बढ़ने की वजह से इंसान का वजन खुद-ब-खुद बैलेंस रहता है। ग्लोइंग स्किन- चुकंदर में मौजूद विटामिन-सी और विटामिन-बी जैसे तत्व स्किन से जुड़ी दिक्कतों के साथ-साथ एजिंग की परेशानी पर भी लगाम कसने का काम करते हैं। पानी पोषण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवयव है। वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट सभी बड़ी मात्रा में आवश्यक होते हैं। भोजन की खपत और पोषण दोनों का प्रभावी प्रबंधन अच्छे स्वास्थ्य की ओर ले जाता है। भोजन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स से बना होता है। ऊर्जा, ऊतकों के रखरखाव और शारीरिक क्रियाओं के लिए हर व्यक्ति को 6 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जिसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, पानी और खनिज शामिल है।
वर्तमान फस्ट फूड्स की परम्परा हमारी नहीं है। यकिनन यह फास्ट फूड्स की अवधारणा हमें फास्ट फूल यानी स्वास्थ्य के प्रति अचेत्य मूर्ख की पंक्ति में ला खड़ा करेगी। प्रयास करें की हम रोजना आहार व्यवस्था में नियंत्रण, संतुलित और असंकरित भोजन का प्रयोग करें जो आपके दीर्घायु के लिए अमृत बने।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़