Friday, September 23, 2022

भविष्य के ईँधन के वैकल्पिक तलाश में माईल स्टोन है हाईड्रोजन फ्यूल/ Hydrogen fuel is a milestone in the search for an alternative fuel of the future



                            (अभिव्यक्ति)             


जीवाश्म ईंधन, वह ईंधन है जो एक प्रकार का कई वर्षों पहले बना प्राकृतिक ईंधन है। यह लगभग 65 करोड़ वर्ष पूर्व जीवों के जलकर उच्च दाब और ताप में दबने से हुई है। यह ईंधन पेट्रोल, डीजल, घासलेट आदि के रूप में होता है। इसका उपयोग वाहन चलाने, खाना पकाने, रोशनी करने आदि में किया जाता है। वर्तमान दौर में इन जीवाश्म ईंधनों पर आधारित हमारे वाहनों से रोजमर्रा की जिंदगी चलती है। लेकिन बेतहाशा पेट्रोलियम के दोहन से पर्यावरण को क्षति भी तीव्रता से हो रही है। वहीं अब ग्रीन एनर्जी की ओर पूरी दुनियाँ देख रही है। ऐसे में विकल्प के तौर पर हाईड्रोजन फ्यूज भविष्य के ईँधन के रूप में क्या पेट्रोलियम की जगह ले पायेगा। 
               ब्रह्मांड का सबसे हल्का और सबसे प्रचुर तत्व हाइड्रोजन, जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को बदलने की क्षमता रखता है। एक ऊर्जा वाहक के रूप में, हार्ड-टू-एबेट क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन को प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। ये उड्डयन, इस्पात और शिपिंग जैसे क्षेत्र हैं, जिनके लिए प्रौद्योगिकी की कमी और निषेधात्मक लागतों के लिए संक्रमण बहुत सीधा नहीं है।
              वास्तव में हाईड्रोजन, जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को बदलने की क्षमता रखता है। एक ऊर्जा वाहक के रूप में, हार्ड-टू-एबेट क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन को प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। ये उड्डयन, इस्पात और शिपिंग जैसे क्षेत्र हैं, जिनके लिए प्रौद्योगिकी की कमी और निषेधात्मक लागतों के लिए संक्रमण बहुत सीधा नहीं है। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों का उपयोग करके भारत में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है। ऑक्सीज के साथ जलने पर हाइड्रोजन गैस काफी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करती है। आमतौर पर 2लाख 86हजार जूल प्रति मोल हाइड्रोजन गैस जलाई जाती है। इस प्रक्रिया में जहरीले दहन उप-उत्पादों का उत्पादन नहीं होती है। वर्तमान में, इस प्रक्रिया के लिए उपयोग किए जाने वाले हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर पारंपरिक ईंधन से उत्पादन किया जाता है। व्हाइट हाइड्रोजन एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला संस्करण है जिसे कभी-कभी भूमिगत पाया जा सकता है। जल इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के साथ उत्पादित हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन या क्लीन हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह सौर या पवन ऊर्जा और बायोमास जैसे अधिशेष नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है।
         आने वाले 25 से 27 वर्षों में बढ़ते पेट्रोलियम की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करना एक बड़ी चुनौती है। यदि समय रहते नवीन ईँधन विकल्पों को विकसित नहीं किया गया तो, वह दिन दूर नहीं की यह पृथ्वी किसी प्रेसर कुकर की तरह तप्त हो जायेगी और अति दूषित वातावरण में जीवन की संभावनाओं का विलोपन और पारिस्थितिकी का विघटन होना संभव है। उस दौर में ऐसे संकरित हाइब्रिड उत्पन्न होगें तो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होगें। बहरहाल, वर्तमान दौर में हाईड्रोजन ईँधन, भावी समय में नवीन परिवर्तन लाने वाला ईंधन साबित होगा 
जो ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में विशुद्ध ईँधन के रूप में प्रासंगिक होगा। वर्तमान दौर में जहाँ ग्रीन एनर्जी के कई विकल्प वैज्ञानिकों द्वारा तलाशे जा रहे हैं। इन सभी विकल्पों में हाईड्रोजन ईँधन भविष्य के लिए सर्वोच्च ईँधन के रुप में स्थापित होगा। क्योंकि वायुमंडल में हाईड्रोजन की प्रचुरता अन्य गैसों से अधिक है। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़