Friday, September 23, 2022

एक थी टेरेसा : विश्व में शांति और मानवता का संदेश देती नारी/ Ek Thi Teresa: Woman giving message of peace and humanity in the world




                              (अभिव्यक्ति


संपूर्ण विश्व में शांति और मानवता का संदेश देने वाली एक महान हस्ती मदर टेरेसा को विश्वभर में फैले उनके मिशनरी के कार्यों के कारण और गरीबों,असहायों की सहायता करने के लिए 17 अक्टूबर 1979 को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम 'अगनेस गोंझा बोयाजिजू' था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। नाम के पर्याय की तरह मदर टेरेसा जीवनपर्यंत लोगों की सहायता और गरीबों की सेवा करती रहीं। 
           सिस्टर टेरेसा जो आयरलैंड से 6 जनवरी,1929 को कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट पंहुचीं और अध्यापन का कार्य प्रारंभ किया। वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की सेवा का संकल्प ले लिया। मदर टरेसा की मृत्यु के समय तक मिशनरीज़ ऑफ चेरिटी 123 देशों में 610 मिशन नियंत्रित कर रही थी। अपने जीवन के दौरान, मदर टेरेसा को उनके दान कार्य के लिए सात सौ से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए। बीसवीं सदी में सबसे अधिक सम्मानित व्यक्ति मदर टेरेसा हैं। मदर टेरेसा ने मरने वाले और अवांछित लोगों के लिए कलकत्ता से न्यूयॉर्क से लेकर अल्बानिया तक कई घर बनाए । वह एड्स पीड़ितों के लिए घर बनाने वाली पहली महिला थीं। 50 से अधिक वर्षों तक, इस साहसी व्यक्ति ने दुनिया भर के गरीबों, मरने वालों और अवांछितों को सांत्वना दी।
       ऐसा भी नहीं है की आलोचनाओं के घेरे में मदर टेरेसा निष्पक्ष रही है। तत्कालीन आलोचनात्मक विवरणों के आईने कहते हैं कि, उनकी और उनके द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी की प्रथाएँ विवादों में रहीं। इनमें उनके द्वारा प्रदान की गई चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता पर जताई गईं आपत्तियां, मरणासन्न लोगों को बपतिस्मा कराकर जबरन पंथ परिवर्तन कराना, उपनिवेशवाद और नस्लवाद के आरोप शामिल हैं।
         बहरहाल, इनके पुण्यतिथि यानी 5 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस के रूप में वैश्विक रूप में किये गए मदर टेरेसा के कार्यों के लिए विनम्र श्रद्धांजलि हैं। वहीं इस दिवस की उद्देशिका में दान, स्वैच्छिकता और परोपकार की धारणाओं की तरह, वास्तविक सामाजिक बंधन प्रदान करता है। समावेशी और अधिक लचीला समाजों के निर्माण में योगदान देता है। परोपकार मानवीय संकटों के सबसे बुरे प्रभावों को कम कर सकता है, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवास और बाल संरक्षण में सार्वजनिक सेवाओं को पूरक कर सकता है। यह संस्कृति, विज्ञान, खेल की उन्नति और सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में सहायता करता है। यह हाशिए पर पड़े और वंचितों के अधिकारों को भी बढ़ावा देता है और संघर्ष की स्थितियों में मानवता का संदेश फैलाता है। सतत विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है। दुनिया भर में समाज सेवा के लिए कार्यरत समस्त व्यक्तियों, संस्था, एनजीओ को सहयोगी भूमिका में चैरिटी के लिए लोगों को प्रेरित करना है। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़