(अभिव्यक्ति)
गुजरात के साधू बेट में,सरदार सरोवर बांध के निकट 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी अडिगता और गौरव को स्मृति कराती प्रतिमा जो 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकती है। इसे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिमा महान शख्सियत सरदार वल्लभ भाई पटेल की है, जिन्होनें सत्याग्रह के जरिए खेड़ा और बारडोली में विजय हासिल की। ये आधुनिक भारत के बिस्मार्क हैं। स्वतंत्र भारत को नया रूप देने वाले शिल्पकार थे। जिन्होंने 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर महान भारतीय गणतंत्र तैयार किया। इसी गणतंत्र और लोकतंत्रिक देश में हम और आप जो स्वतंत्रता का पान कर रहे हैं, जिसके पीछे अनगिनत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान से स्वतंत्रता हमने प्राप्त की है। वही हम आज विश्व के बड़े लोकतंत्रिक राष्ट्रों मे से एक हैं।
प्राचीन यूनानियों ने सबसे पहले लोकतंत्र का निर्माण किया था। शब्द 'लोकतंत्र' दो ग्रीक शब्दों से आया है जिसका अर्थ है लोग यानी डेमो और शासन यानी क्रेटोस है। दोनो शब्दों के संधि से डेमोक्रेसी शब्द की उत्त्पति हुई है। आधिकारिक तौर पर शासन व्यवस्था में सरकार के एक रूप के रूप में लोकतंत्र और संविधान की अवधारणा प्राचीन एथेंस में लगभग 508 ईसा पूर्व में उत्पन्न हुई थी। प्रश्न उठता है लोकतंत्र क्या है? जवाब है, जनता द्वारा सरकार के चयन में बहुमत का शासन किया जाना है। जिसमें सर्वोच्च शक्ति लोगों के पास होती है और आमतौर पर प्रतिनिधियों के माध्यम से लोगों द्वारा शासित एक राजनीतिक इकाई उपयोग की जाती है।
हालाँकि, लोकतंत्र का मुख्य विचार व्यापक रूप से 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एथेंस से उत्पन्न हुआ माना जाता है। वर्ष 1995 की वेबस्टर न्यू इनसाइक्लोपीडिक डिक्शनरी लोकतंत्र को एक ऐसी सरकार के रूप में परिभाषित करता है। जिसमें सर्वोच्च शक्ति लोगों में निवेश की जाती है और उनके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिनिधित्व के माध्यम से प्रयोग की जाती है। लोकतंत्र जाति, धर्म और लिंग के आधार पर नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है। लोकतंत्र निर्णय लेने की गुणवत्ता को बढ़ाता है और नागरिकों की गरिमा में भी सुधार करता है। लोकतंत्र मतभेदों और असहमति से निपटने के लिए एक प्रणाली प्रदान करता है और हमें अपनी गलतियों को सुधारने की भी अनुमति देता है। हम उदार लोकतंत्र की लड़ाई में शामिल होने के लिए नए सदस्यों का स्वागत करते हैं। देश में लोकतंत्र की भावना बढ़ रही है। हम लोकतंत्र का उपयोग प्रतिनिधियों के चयन के तरीके के रूप में करते हैं। एक प्रत्यक्ष लोकतंत्र में, सभी कानून और सार्वजनिक नीति के फैसले लोगों के बहुमत के वोट से सीधे किए जाते हैं, न कि उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के वोटों से। कार्यात्मक रूप से केवल छोटे राज्यों में ही संभव है, स्विट्जरलैंड आज राष्ट्रीय स्तर पर लागू प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एकमात्र उदाहरण है।
लेगाटम समृद्धि सूचकांक, 2021 में भारतवर्ष को 101वां स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं वर्ष 2020 से सूचकांक में 103वें स्थान पर था। भारत ने सामाजिक पूंजी तथा सुशासन जैसे स्तंभों में उल्लेखनीय सुधार किया है। जबकि प्राकृतिक परिवेश एवं सुरक्षा तथा संरक्षा में बड़ी गिरावट दर्ज की है। भारतीय लोकतंत्र के परिदृश्य में कई चुनौतियां है जैसे, गरीबी, स्वास्थ्य देखभाल, कम साक्षरता दर, जनसंख्या से अधिक, बेरोजगारी भारत के अधिकांश हिस्सों में प्रचलित हैं। जो राष्ट्रीय प्रगति में बाधा डालती हैं। वहीं भारतीय समाज में जाति और लिंग भेदभाव वैमनस्यता जारी है। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, लोक न्याय में देरी लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रही है। संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए विभिन्न जातियों और धर्मों में अल्पसंख्यकों के शोषण ने लोकतंत्र की पूरी अवधारणा को कमजोर कर दिया है।चुनावों के दौरान धन और बाहुबल का प्रयोग लोकतंत्र की कमियों को दर्शाता है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़