(विचार)
विश्व में पत्रकारिता के प्राथम्य के विषय में इतिहास खंगालते हैं तो आरंभ लगभग सन् 131 ईस्वी पूर्व रोम में मिलता है। जहां नगर के प्रमुख चौराहों पर धातु की तख्ती में दिन की घटनाओं का प्रकाशन होता था। जिसका नाम एक्टा डिउरना यानी पूरे दिन का विवरण था। 15वीं शताब्दी में योहान गूटनबर्ग के छपाई की मशीन के अविष्कार ने मुद्रण के कई रास्ते खोले, जैसे पुस्तक, पॉम्प्लेट्स इसी को अवधारणा पर 16वीं शताब्दी के दौर में यूरोप के स्त्रास्बुर्ग शहर के कारोबारी योहन कारोलूस अपने धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करते थे। हाथों से हुबहू नकल का कार्य महंगा और धीमा था। उन्होंने तब छपाई की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र प्रकाशित किया और उसका नाम रिलेशन रखा गया। इसी समाचार-पत्र को विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना गया है। पत्रकारिता का दौर समय के साथ बढ़ता गया। लोगों में सूचनाओं के प्रति ज्ञान पिपासू प्रवृत्ति ने समय के साथ-साथ पत्रकारिता को सेवा क्षेत्र और लोकतंत्र की चौथे स्तम्भ के रूप में स्थापित कर दिया।
लगभग कम्प्यूटर के अविष्कार के पश्चात् सन् 1980 के दौर में विन्ट सर्फ़ और रॉबर्ट इ० क्हान ने इंटरनेट का अविष्कार किया है। इंटरनेट के अविष्कार ने पत्रकारिता को सशक्त और सबल बनाया। क्योंकि पहले जहाँ सूचनाओं को प्रसार या किसी विशेष घटना के प्रकाशन के लिए खत, टेलिग्राम या कोरियर ही माध्यम हुआ करते थे। लेकिन इंटरनेट ने अखबरों के मुद्रण से लेकर सूचना प्रसारण तक का सारा काम स्वमेव समाहित कर लिया। इसी दौर के उन्नत विकास के पीढ़ी यानी पत्रकारिता का हाइब्रिड स्वरूप है : वेब पत्रकारिता। वेब पत्रकारिता को शब्दों में परिभाषित करते हुए ऑक्सफ़ोर्ड पत्रकारिता शब्दकोश कहती है कि, 'वेब पत्रकारिता में वो विभिन्न प्रकार के समाचार शामिल हैं। जो विभिन्न वेबसाइटों, सोशल मीडिया, आरएसएस चैनलों, ईमेल, न्यूज़लेटर्स और ऑनलाइन पत्रकारिता के अन्य रूपों के माध्यम से प्रसारित होते हैं।'
कहने का तात्पर्य है इंटरनेट में संचालित खबरों के संसाधन को हम न्यू मीडिया या वेब मीडिया कह सकते हैं। वेब मीडिया के प्रति लोगों का आकर्षण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कारण हैं तत्कालिक सूचनाओं का उपभोग करना है। भूमंडलीकरण के वर्तमान दौर में पत्रकारिता की हदें काफ़ी विस्तृत हो चुकी है। इंटरनेट पर ब्राडकास्ट हो रहे चैनल को वेब चैनल कहते हैं। वहीं न्यूज़ को इंटरनेट पर ऑनलाइन ब्रॉडकास्ट करने वाले चैनल को वेब न्यूज़ चैनल या ऑनलाइन न्यूज़ चैनल कहा जा सकता हैं। वर्तमान दौर में मीडिया जगत इलेक्ट्रानिक चैनलों से आगे बढ़ कर अब वेब चैनल की ओर बढ़ गया है। वेब पत्रकारिता के कई स्वरूप और संकरित हाइब्रिड आज विकसित हुए हैं, जैसे ब्लाग, वेबसाइट, न्यूज पोर्टल और वेब चैनल आदि।
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया अचार संहिता) नियम, 2021 में वेप पोर्टल के संचालन संबंधित विभिन्न नियम दिये गए हैं। जिनसे एक संगठनात्मक रूप से गठित वेबपोर्टल, डिजि मीडिया को अधिमान्यता प्रदान की गई है। एक ओर जहाँ तीव्रता से सूचना विस्फोट के इस दौर में वेब मीडिया का लोग स्वागत कर रहे हैं। वहीं वेब मीडिया की भाषा और समाचारों की विश्वसनीयता भी एक बड़ा प्रश्न है। वेबपोर्टल्स में कई ऐसे उदाहरण भी हैं जो फेक न्यूज़ से भरे पड़े हैं। वहीं वेप पोर्टल की भाषा का चयन क्या पत्रकारिता के मानकों पर खरे उतरते हैं या फिर बाजारीकरण के शब्द चयन वाले बेतरतीब वाक्यों के चयन से भाषा की शिष्टता का उपहास उड़ाया जायेगा। यह चिंतन का विषय है। ऐसे ही कुछ उदाहरण स्वरूप बिन्दु आपके समक्ष रख रखा हूँ। आज कल तेज सूचनाओं के सृजन के जिज्ञासा में दो भाषाओं से संकरित नव भाषा का इसे अपने हिसाब से हिग्गलिश(हिन्दी+अंग्रेज़ी) कहकर चलता है कहने वालों की कमी नहीं है। जबकि पत्रकारिता में मात्रात्मक, लिंगात्मक एवं शब्दों के प्रायोजित करने के उद्देश्य को बड़ी गंभीरता से लिया जाता है। एक संपादक अपने अखबार में प्रकाशित होने वाले प्रत्येक खबरों को बड़ी बारिकी से पढ़ता और न्यायोचित बदलाव भी करता है। लेकिन वेब मीडिया के तीक्ष्ण सेवा के संस्करण में कहीं न कहीं संपादन का लोप दिखाई पड़ता है।
बहरहाल, वेब मीडिया को पूर्णरूपेण दोषारोपण भी सहीं नहीं है। वेब मीडिया के फलस्वरूप सूचनाओं के सृजन और प्रसारण में काफी तेजी आई है। लोग समाचार या टेलीविजन के सामने बैठकर खबरें देखने के बजाय मोबाइल में खबरों को पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं। ऐसे में अपनी विश्वनीयता और लोकप्रियता बनाए रखने के लिए वेब पोर्टल के पत्रकारों को और गंभीरता और सजगता से कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं सशक्त लोकतंत्र की चौथे स्तंभ को और सबल, सशक्त बनाने की जिम्मेदारी पत्रकारों के काबिल कंधों पर निर्भर है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़