Wednesday, June 29, 2022

शरीर में नई ऊर्जा का संचार है रक्तदान / Blood donation is the circulation of new energy in the body



                           (अभिव्यक्ति


शरीर जो विभिन्न ऊतकों का गठजोड़ है। इन ऊतको को जीवित रखने का कार्य लहू/खून का होता है। जो इन ऊतकों में आक्सीजन पहुँचानें का कार्य करती है। इसके साथ ही रक्त पोषक तत्वों को ले जाना जैसे ग्लूकोस, अमीनो अम्ल और वसा अम्ल  का संचार पूरे शरीर में करती है। रक्त का कार्य ना सिर्फ इतना है बल्कि, उत्सर्जी पदार्थों को बाहर करना जैसे- यूरिया कार्बन, डाई आक्साइड, लैक्टिक अम्ल को शरीर से बाहर कर जीवन के प्रावस्थाओं को संतुलन की स्थिति प्रदान करती है। सार करन में कहें तो रक्त शरीर में प्रतिरक्षात्मक कार्य में महत्वपूर्ण संसाधन है। लहू या रुधिर या खून एक शारीरिक तरल है। जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार प्रवाहित होती रहती है। रक्त वाहिनियों या नलियों या नशों में प्रवाहित होने वाला यह द्रव गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग से रंजित, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से संगठन का प्रतिरूप है। वहीं प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण पूरे शरीर के नाड़ी तंत्र में तैरते रहते हैं। हृदय की आलय-निलय की प्रक्रिया रक्त को परिसंचारी और शरीर को संतुलन प्रदान करती है। कल्पना करें की रक्त, खून या लहू जो भी संज्ञा दे, इसकी आवश्यक कितनी जरूरी है इस बात का अंदाज़ा आप आज तक की प्रकाशित वर्ष 2019 की 14जून की रिपोर्ट से लगा सकते हैं की उसमें रक्तदान को जीवनदान कहा गया है। रक्त की कमी से भारत में हर छठे मिनट एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। 1 फरवरी 2019 की स्थिति में भारत में कुल तीन हजार एक सौ आठ ब्लड बैंक हैं। जिनमें ग्यारह सौ एक शासकीय औप दो हजार सात निजी ब्लड बैंक हैं। 
             इतिहास के आईने में ब्लड और ब्लड ग्रुप के संदर्भ में यदि अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि, पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप के जानकारी होता था। हालांकि दुनिया का पहला रक्त आधान सन् 1665 में उदाहरण प्रदर्शित होते है। जिसे इंग्लैंड के फिजिशियन रिचर्ड लोअर ने किया था। रिचर्ड ने दूसरे कुत्तों के रक्त को एक कुत्ते में ट्रांसफर करके उसकी जान बचाई थी। 14 जून 1868 को ऑस्ट्रिया के शहर वियाना में जन्मे कार्ल लैंडस्टीनर ने पता लगाया कि एक व्यक्ति का खून बिना जांच के दूसरे को नहीं चढ़ाया जा सकता है। कारण था एक व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है।कार्ल लैंडस्टीनर का तर्क था कि दो व्यक्तियों के विभिन्न ब्लड ग्रुप संपर्क में आने के साथ रक्त अणुओं पर विपरीत प्रभाव प्रदर्शित करते है। 20वीं शदी के प्राथम्य दौर में कार्ल लैंडस्टीनर ने इंसानी खून के एबीओ रक्त समूह और रक्त में मिलने वाले एक अहम तत्व आरएच फैक्टर की खोज की।इस कार्य के लिए उन्हे सन् 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
            वर्तमान समय में ब्लड डोनेशन या रक्तदान के जीवनदान की संज्ञा दी जाती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों के अनुसार भारत में 55 फीसदी महिलाओं को एनीमिया की समस्या है। वहीं, देश में 55 फीसदी किशोरियां भी एनीमिया से पीड़ित हैं। एनएफएचएस के अनुसार अन्य विकासशील राष्ट्रों की तुलना में भारत में सभी समूहों में एनीमिया की व्यापकता अधिक है। इसके साथ ही हेल्थ केयर में दैनिक मरीजों के लिए रक्त और रक्त की कमी से जीवन से हाथ धोना पड़ता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान अवश्य करना चाहिए। रक्तदान करने से शरीर के वज़न को कंट्रोल में रखा जा सकता है। रक्तदान करने से शरीर पून: रक्त की कमी के स्फूर्ति के साथ पूरा करती है जिससे हृदय स्वस्थ रहता है। इसके साथ शरीर में रेड सेल्स का उत्पादन तेजी से होता है। रक्तदान करने से कैंसर का जोखिम कम हो जाता है। सारकरण में कहें तो रक्तदान करने से स्वस्थ्य भी अच्छी बनी रहती है। भारत के विभिन्न राज्यों में रक्तदान करने के लिए जागरूकता अभियानों का प्रयास है की आज विभिन्न शहरों, ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के द्वारा रक्तदान मित्रों/स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ रही है। जो एक अच्छे नागरिक और अनेकता में एकता का प्रतीक है। 

लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़