Wednesday, June 29, 2022

आज से खुलेंगे बस्तर के 260 विद्यामंदिरों के कपाट / The doors of 260 Vidya Mandirs of Bastar will open from today


                         (अभिव्यक्ति)


नक्सलवाद, जो कि साम्यवादी क्रान्तिकारियों के उस आन्दोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के फलस्वरूप ज्वलंत रूप में उत्पन्न हुआ। जिसके प्रतिनिधित्व में विरोध की ज्वाला और साम्यवादी विचारधारा को स्थापित करने के लिए हिंसक स्वरूप ले लिया था। तत्कालीन समय में यह आंदोलन विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और शोषण के विरूद्ध उत्पन्न उन्माद का कारण था। लेकिन यह नक्सल आंदोलन जल्द ही ऐसे लोगों के समूह के द्वारा हाईजैक हो गया जो बंदूक, कारतूस और बमों के गुंज में क्रांति नहीं  लाल आतंक को फैलाना चाहते हैं। लाल आंतक के फैलते प्रसार को रेड कॉरिडोर का नाम दिया गया है फरवरी 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार लाल आतंक का साम्राज्य 11 राज्यों में 90 जिलों तक व्याप्त है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ के वन्य-संसाधन से लब्धित संभाग बस्तर में इन दिनों ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान छाई हुई है। कारण है लाल आंतक के दौर से आजाद होते गाँवों में अब बंदूकों की आवाज नहीं, स्कूल की घंटियाँ और बच्चों के क, ख, ग.... की रटन आवाजें घाटियों को गुलजार करेंगें। बस्तर के चार नक्सल प्रभावित जिलों में नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर एवं सुकमा आज से 15-20 बरस पहले नक्सलियों के दखल और विभिन्न कारणों से 400 विद्यालयों को बंद कर दिया गया था। लगातार सुरक्षा बलों की कार्रवाई और लोगों में लाल आतंक के विरोध की तपस्या का भागीरथी प्रतिफल है की नक्सली अब इन इलाकों से खदेड़े जा रहे हैं। शासन द्वारा विगत वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियों पर विशेष ध्यान के कारण नक्सल गतिविधियां श्रृंग से गर्त की की दिशा में घटने लगी है।
              अरस्तू शिक्षा पर अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि,'स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण करने का कार्य शिक्षा करती हैं।' कहने का तात्पर्य है शिक्षा के माध्यम से मस्तिष्क को सकारात्मक या नकारात्मक सृजन के लिए प्रेरित किया जा सकता है। जैसे नक्सलियों की मंशा खौफ का माहौल बनाए रखना एवं नवीन रंगरुटो के माध्यम से यह भय की सत्ता को बरकरार रखने के लिए आवश्यक है की शिक्षा पर पहली प्रहार किया जाये। जिसके मद्देनजर उन्होंने विद्यालय के संचालन पर रोक लगा दिये। जिससे बच्चों के मनोस्थिति में भय और बाहर की दुनिया से जुड़ाव कम हो गया। यही वे बच्चें हैं जिनके हाथों में हथियार पकड़ा कर, उनके मन में अपनों के प्रति द्वेष पोषित कर दिया गया। फिर इन्हे बरगलाकर मुख्य मार्ग से इतर हिंसा के मार्ग में ढ़केल दिया गया। विवेकी मनुष्य की कल्पना के सार को कहते हुए स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि,व्यक्ति के आंतरिक पहलू की अभिव्यक्ति शिक्षा हैं। यानी वह जैसे प्रस्थितियों और वातावरण से गुजरता है उसका छाप अवश्य ही उस पर पड़ता है। यानी जिस प्रकार कहावत है जैसे खाओगे अन्न वैसे होगा मन ठीक उसी की भांति मनुष्य जिस मार्ग पर मार्गदर्शक के दिखाये राह पर चलता है। ठीक उसी की भांति व्यवहार करना सीख जाता है। किशोर मनोमस्तिष्कों में हिंसा और बंदूकों से छद्म क्रांति के लिए प्रेरित कर राष्ट्र विरोधी तत्वों में लिप्त करा देना कभी भी श्रेयस्कर नहीं है। लेकिन नक्सलियों के लिए शिक्षा के प्रसार को रोकने के पश्चात् अशिक्षा के गर्भ में पल रहे ये बच्चे नव रंगरुटो के रूप में सॉफ्ट टार्गेट हो गए। और बस्तर का विकास पून: पिछड़ेपन का शिकार हो गया था। लेकिन सैन्य बलों की लगातार कार्रवाईयों और नक्सलियों के टूटते मनोबल का नतीजा है की आज बस्तर के 260 विद्या मंदिरों के कपाट 16 जून को खुलेंगे।
                  बस्तर के विभिन्न इलाकों में 400 से अधिक स्कूलों को नक्सल सहित विभिन्न कारणों से बंद कर दिया गया था। सीधे-सीधे नवनिहालों के भविष्य को 10-15 वर्ष पीछे धकेलना कोई आम बात नहीं है। नक्सल प्रभावित चार जिलों में समुदाय की मांग के आधार पर राज्य शासन द्वारा पहल करते हुए 260 स्कूलों को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इन स्कूलों को औपचारिक रूप से राज्य स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव के 16 जून होना सुनिश्चित किया गया है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में नक्सल प्रभावित चार जिलों-नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर एवं सुकमा के कलेक्टरों को अपने स्तर पर तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि शाला प्रवेश उत्सव के दिन 16 जून को जिले के किसी एक शाला का चयन कर वहां शाला प्रवेश उत्सव का मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जाए। बहरहाल, शिक्षा के इस नवांकुरण से पून: बस्तर के नव पीढ़ी को शिक्षा के दिव्य प्रकाश का सहारा मिलेगा। जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा में तत्पर आदिवासी भाईयो-बहनों को शिक्षा के विभिन्न चरणों के ताल से ताल मिलाने की आवश्यकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में नेल्सन मंडेला कहते हैं, शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।
          बस्तर के विकास और समृद्ध बस्तर की कल्पना के लिए शिक्षा से परिपूर्ण बस्तर की जनता का होना भी आवश्यक है। शिक्षा के मंदिरों के प्राथम्य कक्षाओं के इस पावन क्षणों का हम भी साक्षी बनेंगे। बस्तर के समृद्ध विकास के साथ-साथ संपूर्ण छत्तीसगढ़ उत्तरोत्तर विकास की ओर बढ़ते रहे। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़