(विचार)
पेट्रोलियम जनित्र वाहनों से प्रदूषण होना तो लाजमी है। वर्तमान में गांव से लेकर शहर तक हमारे लिए पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों की बाढ़ जैसी स्थिति है। जिसके धूएँ से लगातार पर्यावरण का क्षरण और वैश्विक स्तर पर मानवीय जीवन पर संकट की स्थिति निर्मित है। वर्ष 2022 के 22 मार्च को स्विस फर्म आईक्यूएयर द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट जारी की गई जिसके आकड़ों के अनुसार, वायु गुणवत्ता में सुधार के तीन साल के रुझान को समाप्त करते हुए। भारत में वायु प्रदूषण का स्तर 2021 में और खराब हो गया। भारत विश्व के 117 देशों में पांचवां सबसे प्रदूषित देश है। देश का वार्षिक औसत पीएम 2.5 स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। 2019 में मापा गया पूर्व-संगरोध सांद्रता पर लौट आया है । विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुशंसा करती है कि छोटे और खतरनाक वायुजनित कणों की औसत वार्षिक रीडिंग पीएम-2.5 के रूप में जाना जाता है। 2021 में इसके दिशा-निर्देशों को बदलने के बाद 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
लैंसेट प्लेटनरी हेल्थ रिपोर्ट के आँकड़ों की माने तो वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण के कारण 17 लाख लोगों की मृत्यु हुई है। द इंडिया स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव नाम की ताजी लैंसेट रिपोर्ट में भीतरी और बाहरी स्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों का आकलन किया गया है। प्रदूषित हवा का सबसे बड़ा दंश नवजात बच्चों के जीवन को लेकर सामने आता है। प्रतिवर्ष खराब वायु के कारण लाखों नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती है।
यातायात वाहनों से निकलने वाले धूएँ के कारण भी प्रदूषण में इजाफा हो रहा है। गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल की बेतरतीब महंगाई और उससे होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपयुक्त संसाधन के रूप में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को इसके विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।इलेक्ट्रिक गाड़ियों को आवाजाही के भावी संसाधनों के रूप में विकल्प माना जा रहा है। वर्तमान में इनकी कीमत काफी अधिक है,इसलिए लोगों के इलेक्ट्रिक स्कूटर या कार इस्तेमाल करने की स्थितियाँ समान नहीं हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में ई-वाहनों की कीमतें कम होंगी। वाहन के अविष्कार के साथ ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोंत के माध्यम से वाहनों के संचालन के लिए शोध होते रहे। इसी संदर्भ में पेट्रोल कार के इंटर्नल कॉम्बूस्टन इंजन से इतर, इलेक्ट्रिक कार में कुछ ही कम्पोनेंट्स संगठित होते हैं। जिनमें डीसी मोटर, लीथियम ऑयन बैटरी, इनवर्टर, चार्जर आदि। इलेक्ट्रिक कारों/वाहन में बैटरियां महंगी होती हैं। जिन्हें एक समय के पश्चात् बदलने की आवश्यकता है। इसके अलावा इनका रख-रखाव खर्च बहुत कम होता है। ईवी में बैटरीज मोटर को रोटेट करती हैं और उसी से वाहन चलने लगते हैं।
वहीं कीमत के किफायती तराजू पर तौलने का प्रयास करें तो पेट्रोल इंजन वाले वाहन एक किलोमीटर की यात्रा करने पर 10 रुपये का खर्च आता है और डीजल इंजन वाले वाहन से एक किमी चलने का खर्च 7 रुपये होता है। जबकि इलेक्ट्रिक वाहन से एक किलोमीटर की दूरी तय करने का खर्च सिर्फ एक रुपये या प्रति युनिट बिजली के कीमत के अनुसार है।
आकड़े बताते हैं की साल 2025 तक भारतवर्ष, जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का बड़ा बाज़ार बन जाएगा। गोल्डमैन सैक्स इसी संदर्भ में तर्क देते हुए कहते हैं कि, तब तक भारत में क़रीब 74 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां होंगी। 2022 में लीथियम-आयन बैटरियों की मांग 10 गीगावाट और 2025 तक इसके 50 गीगावाट पहुंचने की संभावनाएं हैं ।
वर्तमान समय में विस्फोट होते इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में लगातार खबरें आ रही है। जो लोगों के इसके उपयोग करने में डर की स्थिति निर्मित कर रही है। कहने का तात्पर्य यह भी हैं की पेट्रोल/डीजल के बढ़ते दामों से छुटकारा पाने के लिए लोगों के द्वारा इलेक्ट्रिक स्कूटर/बाइक उपयोग किया जा रहा है। जिसमें अचानक विस्फोट की स्थिति से लोग अपनी जान भी गवां रहे हैं। इसके कारण की तुलना करें तो वाहनों में ओवर हिटिंग, शार्टसर्किट जैसी स्थिति है। वहीं बैटरी के अंदर थर्मल रनअवे बैटरी सेल के आंतरिक भाग में होने वाला एक तरह का चेन रिएक्शन है। जिसे एक बार शुरू होने के बाद रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे बैटरी के अंदर रासायनिक प्रतिक्रिया होती है। यह रासायनिक प्रतिक्रिया अधिक गर्मी पैदा करती है, जिससे तापमान बहुत बढ़ जाता है। यह भी एक विस्फोट के कारकों में हो सकता है। ई-वाहनों के बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) को बैटरी पैक का दिमाग कहा जाता है। यह इलेक्ट्रानिक्स का एक सेट है, जो बैटरी के परफार्मेंस की निगरानी और प्रबंधन करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि यह बैटरी को उसके सुरक्षा मार्जिन के बाहर काम करने से रोकता है। वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों की उपयोग के सावधानियां भीं हमें रखने की आवश्यकता है। भावी समय में प्रदूषण रहित इन वाहनों की प्रासंगिकता से प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़