Friday, May 13, 2022

आनलाइन मार्केटिंग के संदर्भ में वर्तमान दौर की प्रासंगिकता / Relevance of current era in the context of online marketing



                  (अभिव्यक्ति


डिजिटल क्रांति के विस्फोट से व्यावसायिक क्षेत्र में कई अनुप्रयोगों का उद्भव हुआ। एक सुरक्षित शॉपिंग चैनल के रूप में इंटरनेट का विकास 1994 से विकसित हुआ। स्टिंग एल्बम टेन सुमोनर्स टेल्स की पहली बिक्री के साथ डिजिटल मार्केटिंग का प्रादुर्भाव माना जाता है। आनलाइन मार्केटिंग का क्षेत्र लगातार अद्यतन होते रहे हैं, जिसके फलन कई आनलाइन खरीदीं-बिक्री वेबसाइट बनने लगे। इन वेबसाइट्स की सबसे बड़ी चुनौती थी की उपभोक्ताओं को परम्परागत् खरीदारी के तरीकों से पृथक कर नवीन प्रणाली में घर पहुँच सेवा से जोड़ना है। इस पद्धति में मार्केटिंग के साथ नेटवर्किंग का जाल भी बिछता चला गया। वही एक नव परम्परा भी स्थापित हुई जहाँ उत्पादक, कम्पनी, टैग्स, सेल्स, विक्रेता फिर उपभोक्ता तक पहुँच के स्तरों में कमी आई यही कमी उत्पादों में शूल्क रियायत के रूप में प्रदर्शित हुआ। नेटवर्किंग के माध्यम से डोर टू डोर सप्लाई के लिए कोरियर के माध्यम से होने लगा।
              जहाँ उपभोक्ताओं के दो-तीन दिन के प्रतीक्षा में उनके इच्छित सामाग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाता है। बड़े शहरों से लेकर अब कस्बों तक यह सेवाएं पैर पसार चुके हैं। कम मूल्यों पर वस्तुओं की लब्धता के कारण इन ऑनलाइन दुकानों में तेजी से खरीदारी के दर बढ़े हैं। अपने मन पसंद के वस्तुओं को आन लाइन ऑर्डर करने की प्रथा तेजी से बढ़ चला है। लेकिन क्या ये वस्तुएँ या सामाग्री जो आन लाइन प्राप्त होते हैं। वे मानकता के सारी शर्तें पूर्ण करते होंगे। यह एक बड़ा प्रश्न है। 
          आन लाइन मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन शॉप की स्थापना और समान के वापसी पर खरीद मूल्य का वापस आने की स्थिति भी संशयपूर्ण है। हालांकि आरबीआई ने ऐसे ऑनलाइन के बढ़ते फ्रॉड को देखते हुए। वित्तीय नियंत्रण के लिए कानून कड़े किये हैं जिनके तहत यदि किसी उत्पाद की वापसी होती है तो 10 दिनों के भीतर पैसे वापसी की सुनिश्चितता नहीं होने की स्थिति में शिकायत किया जा सकता है। 
             डिजिटल मार्केटिंग के दौर में कुछ ऐसे भी उदाहरण सामने आ रहे हैं जो वास्तविक उत्पाद, निकली माल या अनाधिकृत वेबसाइट्स के द्वारा उपभोक्ताओं के गाढ़ी कमाई पर डाका डालने की प्रयत्न हो रहा है। ऐसे कई मामलें हैं जो आनलाइन शॉपिंग के बहाने बड़े-बड़े फ्रॉड हो रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य वर्धन के लिए उपलब्ध दवाईयों के रूप में उपलब्ध सप्लिमेंट्स के मानकता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाता है।
              बढ़ते ई-कॉमर्स के और लोगों के लिए आनलाइन मार्केटिंग में होने वाले फ्रॉड्स से रहित व्यापार की स्थापना के लिए कड़े और आवश्यक प्रतिबंध आवश्यक है। वहीं लोगों की डिजिटल शॉपिंग के लिए जागरूक बनना पड़ेगा है। किसी भी अप्रमाणिक वेबसाइट के माध्यम से क्रय विक्रय से परहेज करना होगा। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़