Friday, May 13, 2022

हैकिंग के इतिहास से वर्तमान परिदृश्य की पृष्ठभूमि : प्राज / History of Hacking to Present Scenario Background


                           (चिंतन
हम में से अधिकांश लोग जिसे इंटरनेट समझते हैं,वह वास्तविकता  में ऑपरेशन का सुंदर चेहरा है जिसमें ब्राउज़र विंडो, वेबसाइट, URL और सर्च बार इत्यादि संकलित रहते हैं। लेकिन वास्तविक इंटरनेट, सूचना सुपरहाइववे के पीछे दिमाग, प्रोटोकॉल और नियमों का एक जटिल सेट है। जिसे किसी को वर्ल्ड वाइड वेब तक पहुंचने से पहले विकसित करना है । कंप्यूटर वैज्ञानिक विंटन सेर्फ़ और बॉब कान को इंटरनेट संचार प्रोटोकॉल का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है जिसका हम आज उपयोग करते हैं और सिस्टम जिसे इंटरनेट कहा जाता है।
        वर्तमान समय मे हम सभी इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। किसी ना किसी रूप में इंटरनेट से जुड़े हैं। एक ओर जहाँ इंटरनेट के आने से ग्लोबल विलेज की अवधारणा पूर्ण हो रहा है। वहीं सूचनाओं के तेज और सटीक विश्लेषण का अनुपम संगम हो रहा है। वो कहते हैं ना एक सिक्के के दो पहलु होते हैं। ठीक वैसे ही इंटरनेट के सदुपयोग के साथ ही अपराधी पहलुओं का जन्म भी हुआ है।
             1960में कम्प्यूटर हैकिंग का दौर प्रारंभ हुआ । उस समय के दौरान, कंप्यूटर मेनफ्रेम थे, तापमान नियंत्रित, क्षेत्रों में कांच के बाक्स में बंद थे। इन मशीनों को चलाने में बहुत पैसा खर्च होता था। होशियार छात्रों, आमतौर पर एमआईटी के छात्रों में, चीजों के काम करने के तरीके के बारे में एक अतृप्त जिज्ञासा थी। उन लोगों ने कंप्यूटिंग कार्यों को और अधिक तेज़ी से पूरा करने के लिए "हैक्स", प्रोग्रामिंग शॉर्टकट्स को बनाया। कुछ मामलों में शॉर्टकट मूल कार्यक्रम से बेहतर थे। 60 के दशक में, 1969 में बनाए गए हैक में से एक सटीक होने के लिए, कंप्यूटर फ्रंटियर पर मशीनों को चलाने के लिए नियमों के एक खुले सेट के रूप में कार्य करने के लिए बनाया गया था। इसे बेल लैब के थिंक टैंक के दो कर्मचारियों ने बनाया था। दो कर्मचारी डेनिस रिची और केन थॉम्पसन थे और हैक को यूनिक्स कहा जाता था। यानी किसी भी कार्य के करने के नियमित परिपाटी से भिन्न शार्टकट तरीकों की खोज ने हैक को जन्म दिया। 
           हैक को और आसानी से समझने का प्रयास करें तो, हैक किसी प्रणाली कार्य करने के नियमित तौर तरीकों से अलग लघु पथ तलाशना है। पहली बड़ी हैकिंग 1971 में जॉन ड्रेपर नामक एक वियतनाम पशु चिकित्सक द्वारा की गई थी। उसने मुफ्त फोन कॉल करने का एक तरीका निकाला। इसी तरह से हैकिंग का समय के साथ निरंतर विकास होते गया। वहीं कम्प्यूटरों में वायरसों को छोड़ने के लिए इंटरनेट के प्रयोग प्रासंगिक हो गए। वर्तमान दौर में कम्प्यूटर हैकिंग के मामले दिनों दिन बढ़ रहे हैं। एक ओर इसकी प्रायोजिता का कारण आर्थिक लाभ है। वहीं दूसरी ओर इसकी प्रासंगिक जासूसी के रूप में हो रहा है। निरंतर बढ़ते साइबर अपराध ने साइबर आतंकवाद के रूप में जन्म ले लिया है। जो वर्तमान डिजिटल युग के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आई है। डेटा की चोरी, डेटा की उपयोग, डेटा की खरीद-फरोख के कारण भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। विभिन्न राष्ट्रों के द्वारा साइबर सुरक्षा को लेकर कई कड़े कानून बनाए जा रहे हैं। लेकिन साइबर अपराधियों के हौसले अभी भी बुलंद है।


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़