(अवलोकन)
सफ़र का मुसाफ़िर हूँ, सफ़र मेरी पहचान।
खोया भी, पाया भी, सफ़र मेरा इम्तिहान।
हम पहले भी यात्राएं करते थे। आज भी करते हैं। डिजिटल क्रांति ने हमें यात्राओं के दौरान होने वाले मुसिबतों से निजात देने के उद्देश्य से कई मैपिंग सिस्टम दियें है। बिना स्मार्टफोन और गैर-जीपीएस प्रणाली के पहले यात्रा के दौरान हमें लोगों से पता पूछते- पूछते खूद लापता हो जाते थे। इसी संदर्भ में में आविष्कारिक शोध रही गूगल मैप्स की सेवा, जिसे 2004 में, गूगल ने सिडनी स्थित एक छोटी कंपनी, व्हेयर 2 टेक्नोलॉजीज, और एक वेब-आधारित मैपिंग सॉफ़्टवेयर के लिए उनके विचार का अधिग्रहण कर किया। तथा गूगल ने एक भू-स्थानिक डेटा विज़ुअलाइज़ेशन कंपनी, कीहोल, एक रीयल-टाइम ट्रैफ़िक विश्लेषण कंपनी, ज़िपडैश का भी अधिग्रहण किया। सभी अधिग्रहित संस्थाओं को एकीकरण के साथ, गूगल ने पहली बार फरवरी 2005 में गूगल मानचित्र जारी किया। अद्यतन की अवधि लगातार जारी रही 2006 में, रीयल-टाइम ट्रैफ़िक अपडेट, 2009 में मोड़-दर-मोड़ नेविगेशन लगभग पांच साल बाद व्यापार लिस्टिंग, रेटिंग और समीक्षाएं पेश की गईं। 2015 में ऑफ़लाइन मानचित्र, 2019 में लाइव दृश्य पेश किया गया था। जिसमें नेविगेशन और अन्वेषण में सहायता के लिए संवर्धित वास्तविकता का उपयोग किया गया था। हाल ही में, मॉल और हवाई अड्डों सहित, अमेरिका में कुछ स्थानों पर घर के अंदर नेविगेट करने के लिए, इंडोर लाइव दृश्य भी जोड़ा गया था। अब 2021 में, गूगल मैप्स अपडेट रोल आउट करता रहता है।
इस तरह से हम लाईव लोकेशन की सुविधाओं का लाभ ले पा रहे हैं। विचार करें की जब विज्ञान की शाखाओं का विकाश अंकुरण काल में था तो क्या उस समय भी मैंप रहा होगा। हम जो ग्लोबल मैंप देखते हैं उसके पहले कल्पनाकार कौन हैं? वह महान आविष्कारक कौन है? इसके जवाब तलाशने की प्रयास करते हैं। विश्व में 10 भिन्न प्रकार के विश्व मानचित्र मौजूद हैं। जिसमे आमतौर पर मर्केटर मानचित्र का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। 1569 में मानचित्रकार जेरार्डस मर्केटर ने विश्व का मानचित्र बनाया था। जिससे नाविकों को सही दिशा का जानकारी हासिल हो सके। लेकिन यह मानचित्र भी पक्षपात और अपरिपक्वता के प्रमाणन स्वरूप तात्कालिक लोगों के आलोचनाओं के घेरे में था। मसलन नक्शे में जो ग्रीनलैंड दिखाया गया है, वह जितना दिखता है उससे काफी छोटा है। मर्केटर के मुताबिक इस आइलैंड का आकार अफ्रीका के समान है। कहने का तात्पर्य है की धरती पर दूसरा सबसे बड़ा प्रायद्वीप, जबकि वास्तविकता में अफ्रीका, ग्रीनलैंड की तुलना में 14.5 गुना ज्यादा वृहद है।
1974 में जर्मन इतिहासविद और फिल्मकार आर्नो पीटर्स ने गाल-पीटर्स मानचित्र जिसे तैयार किया था। उसे मर्केटर मानचित्र के विकल्प के रूप में लिया जाता है। माना जाता है कि इस नक्शे में कई सवालों के सटीक जवाब मिलते हैं। क्योंकि यह देशों के आकार ज्यादा सटीक तरह से पेश करता है। इसके अलावा जर्मन मानचित्रकार ओसवाल्ड विंकेल ने 1921 में विंकेल ट्रिपल मानचित्र प्रस्तुत किया था जिसमें क्षेत्र, दिशा और दूरी की खामियों को कम करने की कोशिश की गई है। इस मानचित्र को 1998 में नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी ने मान्यता दी थी। वहीं अमेरिकी मानचित्रकार आर्थर रोबिन्सन का बनाया हुआ रोबिन्सन मानचित्र जिसे 1963 में विकसित किया गया था। अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस नक्शे में सटीकता से ज्यादा सौंदर्य पर ध्यान दिया गया है। यानी प्रत्येक आकार उसकी गोलाई, सब कुछ एक खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। इस तरह 1999 में जापान के वास्तुकार हाजीम नारुकावा के द्वारा ऑथाग्राफ मानचित्र तैयार किया।
मानचित्रों को प्रोजेशन के अनुसार भी कई मैप्स तैयार किये गए 1700ईं, 1600 ईं...इत्यादि से पीछे भी इस पर शोध और वैश्विक पटल पर नक्शों की भूमिका, महत्व के अनुसार प्रस्तुत किया गया। लेकिन हम फिर भी वहीं खड़े हैं की पहले ग्लोबल मैप का मानचित्रकार कौन था?
पृथ्वी का पहला भौगोलिक मानचित्र महाभारत के रचियता प्रकाण्ड विद्वान महर्षि वेदव्यास द्वारा बनाया गया था। महाभारत में पृथ्वी का पूरा मानचित्र हजारों वर्ष पूर्व ही दे दिया गया था। महाकाव्य महाभारत में उल्लेद है कि पृथ्वी को चन्द्रमंडल से देखने पर जो दृश्य प्राप्त होता है वह दो अंशों मे खरगोश तथा अन्य दो अंशों में पीपल के पत्तों के रूप में दिखायी देती है। उपरोक्त मानचित्र 11वीं शताब्दी में रामानुजाचार्य द्वारा महाभारत के निम्नलिखित श्लोक को पढ्ने के बाद बनाया गया था।वेदव्यास, भीष्म पर्व, महाभारत श्लोक-
'सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरूनन्दन।
परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः॥
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः।
एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥
द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।'
हे कुरूनन्दन! सुदर्शन नामक यह द्वीप चक्र की भाँति गोलाकार स्थित है, जैसे पुरुष दर्पण में अपना मुख देखता है, उसी प्रकार यह द्वीप चन्द्रमण्डल में दिखायी देता है। इसके दो अंशो मे पीपल और दो अंशो मे महान शश(खरगोश) दिखलाई देता है।
पृथ्वी के पहले मानचित्रकार के रूप में महर्षि वेदव्यास जी हैं। जिन्होनें पूरी पृथ्वी की ग्लोबल मैपिंग पूर्व ही निर्धारित कर दिया था। हम केवल उनके पदचिह्नों के निशान तलाश रहे हैं। वहीं गूगल मैप एक निजी सेवा संस्थान है जिसकी सेवा नि:शुल्क तो हैं। लेकिन आपके डेटा एक्सेस, लोकेशन को ट्रेवल्स एन्डस्ट्री के गणितीय जानकारों तक साझा(तथाकथित बेचा) किया जाता है। जिसके लिए मोटी रकम निर्धारित होती है। बहरहाल आईआरएनएसएस यानी नाविक एनएवीआईसी के परिचालन नाम के साथ एक स्वायत्त क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है जो सटीक वास्तविक समय स्थिति और समय सेवाएं प्रदान करता है। यह भारत और इसके चारों ओर 1,500 किमी (930 मील) तक फैले एक क्षेत्र को कवर करता है। बहुत जल्द ही हम नाविक से मैप्स पैटर्न का उपयोग निर्बाध स्वतंत्र के साथ और सटीक विश्लेषण के साथ कर पायेंगे।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़