Tuesday, March 29, 2022

आधुनिक और पुरातन परम्पराओं की रस्साकशी में परिवर्तन का अंकुरण : प्राज/ Germination of change in the tug of war between modern and ancient traditions


                        (समाजवाद


परम्परा, जिसे आंग्ल भाषा में ट्रेडिशन कहते हैं। जिसकी उत्पत्ति ट्रेडेरा अर्थात् हस्तांतरण करना है। वहीं हमारी जननी भाषा संस्कृति में परम्परा का अर्थ है। विरासत में प्राप्त या ऐतिहासिक विरासत होता है। शब्द के संयोजन को यदि सटीकता से समझने का प्रयास करें तो यह कहलाता है कि, 'प्राचीन/पुरातन काल से चली आ रही बातों का पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण होना ही परम्परा है।' उदाहरण के लिए जैसे समझने का प्रयास करें, बच्चे के जन्म के पश्चात् नामकरण संस्कार रखने की परम्परा किसी ना किसी मूलक ने प्रारंभ की होगी, उस समय यह नव प्रयोजन वर्तमान में आवश्यक परम्परागत संस्कारों में शुमार हो चुकी है।
          रॉस परंपरा को सारकरण में समझाते हुए लिखते हैं की, 'परम्परा का अर्थ चिंतन और विश्वास करने की विधि का पीढ़ीगत् हस्तांतरण है।' रॉस ने परम्परा को विचार और विश्वास दो प्रारंभिक अवस्थाओं का संयोजन और उसने लगतार चलन की बात कहीं। इस विषय पर एक दृष्टिकोण देखते हैं, प्राचीन काल से घरों के आँगन में तुलसी का पौधा लगाने की परम्परा रही है। जिसमें देवत्व का वास बतलाया गया है। यह विचार एक चिंतन के रूप में समाज में व्याप्त हुआ। वहीं वैज्ञानिक रूप में देखें तो तुलसी के पौधे से अत्याधिक मात्रा में ऑक्सीजन निकलती है। यह शुद्धिकरण से लब्धित पौधे का समीप स्थापना आवश्यक है। लोगों मे वैज्ञानिक विचार के बजाय पारम्परिक विचाराधारा तीव्रता से ग्रहण करने की मनोवृत्ति तो रहता है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण होती रही और यह परंपरा आज भी जीवित है। 
             जिन्सबर्ग लिखते हैं कि, 'परम्परा का अर्थ उन सभी विचारों आदतों और प्रथाओं का योग है, जो व्यक्तियों के एक समुदाय का होता है, और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता रहता है।' वहीं जेम्स ड्रीवर ने लिखा है, 'परम्परा – कानून, प्रकट कहानी तथा किवदन्ती का वह संग्रह है, जो मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित किया जाता है।'
              परम्परा जो एक समय के पश्चात् कानून के रूप में समुदाय में व्याप्त हो जाता है। वहीं परम्पराएं हैं तो उनका क्षेत्र, जातिगत समीकरण और धार्मिकता के पृष्ठभूमि पृथक हो सकते हैं। जहाँ परम्पराओं में विविधता और उनके प्रायोगिक शैली भी पृथक होगी। 
            पुरातन काल से चली आ रही परम्परा का प्रभाव वर्तमान में देखने के प्रयास के पूर्व आधुनिकता को समझने का प्रयास करते हैं। एलाटास  (1972) आधुनिकता को समझाते हुए कहते हैम कि, 'आधुनिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा सम्बद्ध समाज में अधिक अच्छे व संतोषजनक जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से आधुनिक ज्ञान को पहुँचाया जाता है।' वहीं समाज वैज्ञानिक पई(1963) ने आधुनिकीकरण को  'व्यक्ति व समाज अनुसंधानात्मक व आविष्कारशील   व्यक्तित्व का विकास माना है जो तकनीकी तथा मशीनों के प्रयोग में निहित होता है तथा नए प्रकार के सामाजिक संबंधों को प्रेरित करता है।' 
              आधुनिकता के इस दौर में रोजगारपरक संसाधनों के लिए लोग लगातार माइग्रेट होते रहते हैं। जहाँ बसते है वहाँ दो भिन्न या विविध परम्पराओं के लोगों से व्यवहारिक संबंध बनते हैं। इसके साथ ही परम्परात्मक विचारों में यातो परिवर्तन होगा या फिर घर्षण होता है। जहाँ परिवर्तन प्रथा/परंपरा में नवांकुरण है। तो संघर्ष परम्परा के वर्चस्व की लड़ाई बनते देर नहीं लगता है। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़