जमींदारी प्रथा भारत में मुगल काल एवं ब्रिटिश काल में प्रचलित एक राजनैतिक-सामाजिक प्रथा थी। जिसमें भूमि का स्वामित्व उस पर काम करने वालों का न होकर किसी और (जमींदार) का होता था जो खेती करने वालों से कर वसूलते थे।
देश के आजाद होने के बाद जमींदारी उन्मूलन कानून, 1950 भारत सरकार का पहला प्रमुख कृषि सुधार था। कहने का तात्पर्य है की इस तिथि को जमीदारी प्रथा का अंत, कागजों पर तो हो गया। लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इसकी क्या स्थिति रही होगी। इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं जमीदार, प्रधान या ग्राम का प्रमुख/ मुखिया के सामने से यदि कोई गुजरे और सिर तनिक खड़ा करके दिखाए तो बड़ी सामत आ जाने वाली बात थी। बेवजह ही 10 कोड़े मारने का आदेश ऐसे देते जैसे आजादी के बाद मुखिया का ही शासन हो।
कृषि, कृषकों और उनके अधिकारों की बात निकली है तो मुझे याद आता है। महर्षि जैमिनि इसी संदर्भ में कहते हैं, राजा भूमि का समर्पण नहीं कर सकता था, क्योंकि यह उसकी संपत्ति नहीं वरन् मानव समाज की सम्मिलित संपत्ति है। इसलिये इस पर सबका समान रूप से अधिकार है। वहींमनुस्मृति, 8.237-239 में मनु साफ कहते हैं कि 'ऋषियों के मतानुसार भूमिस्वामित्व का प्रथम अधिकार उसे है जिसने जंगल काटकर उसे साफ किया था जोता।' लेकिन यहाँ तो मामला बड़ा उलट-पुलट का है। जमीदारों ने अपने को कृषकों के बीच एक नव वर्ग निर्मित कर दिया। जिसे जोतदार कहा गया। इनका काम था, यातो जमीदारों के जमीन पर कृषि करना, या उस जमीन पर जो कृषि कार्य करने वाले मजदूरों से कर संचय करना। हम जोतदार शब्द के पीछे क्यों हैं क्योंकि इसका पर्याय कहीं ना कहीं नक्सलवाद के जन्म से जुड़ा हुआ है।
नक्सल शब्द प. बंगाल के दार्जिलिंग जिले के नक्सलवाड़ी गांव से लिया गया। जहां 1967 में आंदोलनकारियों ने जोतदारों के विरुद्ध हथियारबंद लड़ाई शुरू की जो सरकार के भूमि सुधार एवं किसानों के हितों के प्रति नीतियों के धीमें कार्यवाई से नाखुश थे। 256 वर्गमील भूमि में फैले नक्सलवाड़ी, खारीवाड़ी और फांसीदेवा की 1967 में जनसंख्या 126000 थी। यह आंदोलन पूर्णतः आर्थिक मांगों के संदर्भ में थी। जिसमें नक्सलवाड़ी में घटना के मुख्य सूत्रधार चारू मजूमदार थे। इनपर माओ के इन दो प्रसिद्द सूत्रों का प्रभाव रहा,पहला राजनैतिक सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है। दूसरा, राजनीति रक्तपात रहित युद्ध है और युद्ध रक्तपात युक्त राजनीति। मार्क्स एक समाजवादी विचारक थे और यथार्थ पर आधारित समाजवादी विचारक के रूप में जाने जाते हैं। सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद (Marxism) उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है।नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता के विरुद्ध एक सशस्त्र आन्दोलन का आरम्भ किया।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़