Friday, January 21, 2022

प्रेम का एक अद्वितीय रूप राष्ट्रभक्ति में निहित है : प्राज / A unique form of love lies in patriotism : Praaj


                                 (अभिव्यक्ति)


वह अकेला चला, वह अकेला ही दीप जैसे प्रज्ज्वलित हुआ। तम के चीरता वह चंगारी बना आजाद,भगत, बोस, गाँधी और लाल जाने कितने ऐसे नाम है। वतन पर हसते-हसते सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उन्हें, आसान नहीं ये काम है। राष्ट्र से प्रेम करने वालों की एक अलग ही दीवानगी है। हम बात करें आजादी के पूर्व की, जिसमें लोगों ने जाति, धर्म, क्षेत्रीयता या विभिन्न पृथक विचारों से अलग राष्ट्र हित को सर्वोपरि माना है। जहाँ राष्ट्र की आजादी का सपना, राष्ट्र के लिए मर मिटने की भावना, अपने राष्ट्र के लिए अद्वितीय प्रेम का पर्याय है। जहाँ हर क्रांतिकारी के मन में, हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के मन में हर घड़ी केवल लक्ष्य आजादी रही। राष्ट्र के प्रति समर्पित प्रेम की अद्वितीय कहानी है। चाहे बात गुंडाधुर की हो, या फिर वीर नारायण सिंह की, हनुमान सिंह की हो या फिर पं. सुन्दर लाल शर्मा की सभी के जीवन में राष्ट्र के प्रति अथाह प्रेम की परिभाषा उनकी जीवनी से मिलती है। जिन्होंने जीवन ऐसा चुना जो राष्ट्र को समर्पित, राष्ट्र के लिए, राष्ट्र वासियों के भावी समय के लिए समर्पित भावना ही आज के आजाद भारतवर्ष की नींव रखी।
              वतर्मान की बात करे, तो आज भी देश को समर्पित, देश पर मर मिटने वालों की कोई कमी नहीं है। तनिक विचार करके देखें कि, जहाँ तापमान के हल्के शुन्य से नीचे की डिग्री सबकुछ जमा देती है। कश्मीर के बर्फिली वादियों में भारत माता की जय घोष करते हमारे राष्ट्र के वीर जवानों में जोश कौन भरता है? सूरज के समान जला देने वाली गर्मी का सामना करते थार के रेगिस्तान में जवान शौर्य की हुँकार भरते हैं! यह राष्ट्र प्रेम नहीं तो और क्या है। राष्ट्र के लिए समर्पित तन, मन और सम्पूर्ण जीवन मेरा कहने वालों में जो जज्बा होता है। वह राष्ट्र प्रेम है। जो नित्य ही राष्ट्र के हित के लिए और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति तक देने वालों को सादर नमन करते हुए यह आलेख उन सभी राष्ट्र प्रेम के अलबेलों को देश भक्तों सादर समर्पित है । 

लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़