(निदर्शन)
सोशलमीडिया प्लेट्फ़ार्म के आने से जहाँ पूरा विश्व एक डीजिटल विलेज के समान गागर में सागर के कथन को चरितार्थ करने लगा है। प्रारंभ में जहाँ सोशलमीडिया प्लेट्फ़ार्म में उपयोगकर्ताओं के लिए युनिक आईडी या एक ई-पहचान बनाने की बध्यता विशेष परख पूरक नहीं थी। संभव है उस दौरान हम सभी ने, किसी ना किसी रूप में फेक आईडी और अवास्तविक नाम के लोगों से चैट्स भी किया हो। एक दौर ऐसा भी आया की फर्जीयत की तो जैसे हद ही हो गई। फिर डेटा चोरी के मामलों में आज भी इन्ही सोशलमीडिया प्लेट्फ़ार्मों को विश्व की कई सरकारें, अदालतें जवाब तलब कर रही है। खैर इन सभी मामलों के बीच में, एक बेहद ही चौकाने वाली बात सामने आई वह है। इन्टरनेट के माध्यम से फलने-फुलने वाला प्यार, सूनने में तो गज़ब ही लगा। संभवना तो कम ही लगता है पर क्या यह निष्काम और वासना से रहित हो सकता है। इस पर तीव्र विचार दौड़ने लगे।
इंटरनेट को खंगालते हैं तो हजारों की संख्या में ऐसे एप्स और साईट्स है जो प्राइवेसी के साथ दो लोगों को ई-डेटिंग और चैटिंग के बेहतर विकल्प देते हैं। वैसे बात करें आनलाइन डेटिंग और फिर वर्चुअली प्रेम प्रसंग की तो, इसका प्रारंभ तो जान पहचान फिर रूचियों के मेल खाने से होता है। जहाँ एक ओर ई-डेटींग से पहले मामला कार्यालय से होटल के कमरों तक सीमित था वहीं इन्टरनेट के संसाधन आने से विशाल स्तर तक पहुच गया है। पिछले एक दशक में कई जोड़ों के घरों में बेवफाई लाने का प्रमुख कारक भी ई-डेटिंग ही रहा है। चैट रूम की बातचीत और साइबरसेक्स में वृद्धि ने भी बेवफाई के अर्थ पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है। यदि कोई शारीरिक संपर्क या वास्तविक सेक्स नहीं है, तो क्या यह अभी भी एक संबंध हो सकता है?
'यह सिर्फ इतना नहीं है कि आप किसी के साथ ऑनलाइन संवाद कर रहे हैं, बल्कि यह एक यौन या भावनात्मक प्रकृति है।' नेवादा विश्वविद्यालय लास वेगास की प्रोफेसर कैथरीन हर्टलिन, जो ऑनलाइन मामलों का अध्ययन करती है। उनके अनुसार, 'इंटरनेट के साथ, हम बेवफाई के बारे में सिर्फ भौतिक विचारों से दूर जा रहे हैं और भावनात्मक बेवफाई को स्वीकार कर रहे हैं।' हालांकि कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है, एक इंटरनेट मामले में अक्सर अंतरंग चैट सत्र और यौन उत्तेजक बातचीत या साइबरसेक्स शामिल होता है, जिसमें वेब कैमरा के साथ पारस्परिक हस्तमैथुन का फिल्मांकन शामिल हो सकता है।
कई अध्ययनों से पता चलता है कि जब कोई व्यक्तिगत संपर्क नहीं होता है, तब भी ऑनलाइन मामले वास्तविक दुनिया की तरह ही विनाशकारी हो सकते हैं, जिससे असुरक्षा, क्रोध और ईर्ष्या की भावनाएं पैदा हो सकती हैं। महिलाओं को आमतौर पर एक साथी के ऑनलाइन संबंध के भावनात्मक विश्वासघात से अधिक खतरा महसूस होता है, जबकि पुरुष शारीरिक चहलकदमी के बारे में अधिक चिंतित हैं, हर्टलिन बताती हैं, लेकिन लिंग अंतर कम हो रहा है। इंटरनेट हर किसी के लिए अवसर की समानता के कारण कुछ हद तक बाहर भी शुरू हो रहा है। जबकि पुरुष परंपरागत रूप से अधिक विश्वासघाती यौन संबंध रहे हैं, कुछ मामलों में लिंग भूमिकाएं उलट रही हैं क्योंकि अधिक महिलाएं साइबरसेक्स का अनुभव करती हैं। 'मुझे लगता है कि यह पूर्वाग्रह है कि महिलाएं यौन कारणों से बिल्कुल भी धोखा नहीं देती हैं।'
ऑनलाइन मामलों की गुप्त प्रकृति के कारण, विश्वसनीय आंकड़े खोजना मुश्किल है, लेकिन 2005 में स्वीडन में 1,828 वेब उपयोगकर्ताओं का एक अध्ययन साइबरसेक्स और ऑनलाइन मामलों के प्रसार के बारे में सबूत पेश करता है। लगभग एक तिहाई प्रतिभागियों ने साइबरसेक्सुअल अनुभवों की सूचना दी। प्रतिबद्ध रिश्तों में लोगों के साइबरसेक्स में शामिल होने की संभावना उतनी ही थी, जितनी कि अकेले थे। लेकिन लिंग और उम्र ने फर्क किया। जबकि साइबरसेक्स में पुरुषों की रुचि उम्र के साथ कम होती गई, महिलाओं की रुचि में थोड़ी वृद्धि हुई। 35 से 49 वर्ष की आयु की 37 प्रतिशत महिलाओं ने साइबरसेक्सुअल अनुभवों की, जबकि समान आयु वर्ग के केवल एक चौथाई पुरुषों की तुलना में दर्ज की गई। 2008 का एक ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन इंटरनेट मामलों में अधिक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह पाया गया कि 183 वयस्कों में से जो वर्तमान में या हाल ही में एक रिश्ते में थे, 10 प्रतिशत से अधिक ने अंतरंग ऑनलाइन संबंध बनाए थे। 8 प्रतिशत ने साइबरसेक्स का अनुभव किया था। और 6 प्रतिशत ने अपने इंटरनेट भागीदारों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी। ऑस्ट्रेलियाई जर्नल ऑफ काउंसिलिंग साइकोलॉजी, वॉल्यूम 9, अंक 2 में प्रकाशित यह रिपोर्ट अवलोकन किया जा सकता है।
सेंटर फॉर इंटरनेट एडिक्शन रिकवरी की निर्देशक डॉ. किम्बर्ली यंग का कहना है कि उसके परीक्षण में लगभग आधे जोड़े ऑनलाइन मामलों या ऑनलाइन पोर्नोग्राफ़ी के अत्यधिक उपयोग के कारण परामर्श मांग रहे हैं। युवा अधिक महिलाओं को देखता है, जो ऑनलाइन धोखेबाज हैं। आंशिक रूप से वह कहती हैं, क्योंकि महिलाएं कामुक चैट और वेब कैमरा सत्रों की ओर बढ़ती हैं जबकि पुरुष अक्सर पोर्नोग्राफ़ी के लिए तैयार होते हैं। उनके अनुसार, 'इंटरनेट आपकी कामुकता की खोज के इन नए तरीकों को खोल रहा है और इसमें धोखाधड़ी भी शामिल है।'
सारकरण में कहें तो प्रेम के वर्चुअल स्वरूप की कोई वास्तविक सीमा नहीं है। यह प्रेम से कहीं ज्यादा मानसिक मनोरोगी बनाने की ओर अग्रसर है। वहीं पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों में लिप्त करने फसाने के लिए कारगर संसाधन के स्वरूप में व्याप्त हैं। जाने कितनी लड़कियां/लड़के ऐसे ट्रेप में फस जाते हैं। फिर अंत: उन्हे अपने प्राणों की आहूति तक देनी पड़ती है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़