(व्यंग्य)
जंगल की प्रशासनिक व्यवस्था को दुरूस्त करने के उद्देश्य से जंगल के राजा शेर ने विभिन्न विभागों का गठन किया। जंगल के राजा समाजशास्त्री मैक्स वेबर के मत को मानने वालो में से एक है। जैसा की मैक्स वेबर ने नौकरशाही को प्रशासन की एक ऐसी व्यवस्था माना है जिसकी विशेषता है , विशेषज्ञता, निष्पक्षता और मानवता का अभाव। ठीक इसी के अनुरूप जंगल में ब्यूरोक्रेसी को प्रासंगिक करने के प्रयास किये जाने लगे। जंगल में विभिन्न प्रकार के अधिकारियों का चयन किया गया।
जंगल में ब्यूरोक्रेसी के पूरे ताने-बाने बुन दिये गए। समय-समय पर विभिन्न प्रशासनिक एवं जंगली कार्यालयों में अफसर तैनाती के लिए प्रतियोगिता भी होती थी। बहरहाल जंगल के राजा के दो-तीन पुश्तों तक जंगल की ब्यूरोक्रेसी बिलकुल टाईट फिटिंग की तरह रहा। जंगल के ब्यूरोक्रेसी की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी। समय के साथ अमूलचूल परिवर्तन होते रहे, पूराने जाते, नये आते यह सिलसिला आम हो चला। प्रतियोगी परीक्षा में कसावट और पास करके पहुचने वालों की तेज-तर्रार फौज ने सारे सिस्टम को ब्यूरोक्रेट्स के हाथ में लगाम की तरह धर दिया।
इसी लगाम ने कुछ डोपिंग से ग्रसित अफसरों को मनमानी करने की छूट भी दे दी। वो प्रॉपर डेकोरम मेंटेन कराता, इसी बहाने कुछ तो ऐसे भी निकले जो अपने पद के दुरुपयोग को लेकर चर्चित हस्तियों में शुमार होने लगे। ताजा मामला जंगल के ठंडे भाग पर शासन व्यवस्था चलाने वाले अधिकारी सियार का है। श्रीमान पर घर के राशन से लेकर, अपने निजी कार्यों में अपने से निचले स्तर के कार्मचारियों कों जैसे बंदर, भालू, खरगोश, गिलहरी को दबाव डालने का मसला है।
मानसिक प्रताड़ना के मार झेल रहे सभी कर्मचारी सियार से बड़े अधिकारी जंगल के पाचवें फस्टक्लास अफसर से शिकायतों का भरा पिटारा प्रेषित किया है। मजे की बात यह भी है कि वह भी ब्यूरोक्रेट्स, जिस पर शिकायत है वह भी ब्यूरोक्रेट्स है। देखना लाजमी होगा की 1975 को दीवार फिल्म के दो भाई रवि और विजय की तरह के रोल निभाते हैं या फिर दोस्ताना वाली दोस्ती की भूमिका को रंग भरते हैं।
लेखक
पुखराज प्राज
साहित्य साधना सभा, छत्तीसगढ़