Tuesday, September 29, 2020

जाने कब चले ओटीटी प्लेटफार्म्स के वेब सीरीज़ के बेधड़क बोल पर वैधानिक चाबुक? : पुखराज प्राज

अश्लीलता परोसने वाले ई-प्रसारणों पर हो कड़ी कार्रवाई
इंटरनेट ने हमारी जिंदगी में बहुत से बदलाव किए है। इंटरनेट और ऐसी बहुत सी आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमारे बहुत से कामों को करने का तरीका बदला है । इसी के साथ आजकल बहुत से ओटीटी प्लेटफार्म्स भी काफी लोकप्रिय हो रहे है। आजकल कई फिल्में थिएटर की जगह ओटीटी एप्स या ओटीटी प्लेटफार्म्स पर रिलीज की जा रही है । ओटीटी क्या है यह अभी बहुत से लोग नही जानते है । ओटीटी का फुल फॉर्म ओवर-द-टॉप होता है । ओटीटी ऐसे प्लेटफॉर्म को कहा जाता है, जो इंटरनेट के जरिए विडियो या अन्य मीडिया कंटेनेट उपलब्ध करते है । ओटीटी शब्द का उपयोग सामान्य रूप से विडियो ऑन डिमांड प्लेटफार्म के लिए किया जाता है। इसके अलावा ऑडियो स्ट्रीमिंग, ओटीटी डिवाइस, वीओआईपी, कम्युनिकेशन चैनल मैसेजिंग आदि भी इसमें गिने जाते है। 
 
         ओटीटी के प्रारंभिक जानकारी के उपरांत आते हैं मुद्दे की बात पर, ओटीटी प्लेटफार्म्स वर्तमान कोविड- 19 के इस दौर में वर्चुअल मल्टीप्लेक्स के विकल्प के रूप में सामने आया है। ओटीटी की खास बात यह भी है कि, वेब- सीरिज़, ऑनलाइन स्ट्रीमिंग होने वाले फिल्मों के जरिये हमने असली अभिनय और भाई-भतिजावाद से हटकर, बेहतरीन अदाकर ढूंढ़ने में कामयाब रहा। ओटीटी के माध्यम से ही उपन्यासों को रंगीन सिनेमा के पटल पर उतारा जा रहा है। वेब सीरीज़ के स्ट्रीमिंग के लिए कई ओटीटी एप्स है। जिससे निर्माता-निर्देशकों को परेशानी या रिलीज़ के लिए चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होती।

      बहरहाल इन वेब सीरीज़ ने जहां एक ओर नवीन प्रतिभाओं की खोज की, वहीं  दूसरी ओर अश्लील प्रदर्शन, असभ्य और अशिष्ट भाषाओं का प्रयोग समाज के लिए, भावी पीढ़ी के लिए और तो और परिवार के लिए ठीक नहीं है। ओटीटी की चाटुकारिता करने वाले वर्ग के लोग इस तर्क के खंडन के लिए अवश्य ही कहते फिरते हैं कि, यह तो ऑनलाइन स्ट्रीमिंग है, साथ में प्ले ऑन डिमांड है। इसे वहीं देखेंगे जो इसके सब्सक्रिप्शन लेते है। 

वर्तमान डिजिटलाइजेशन का युग है, इसे संदर्भ में देखते हैं कि छोटे बच्चों के पास भी स्मार्टफोन और उसे बेहतरीन तरीके से चलाने की कला तो जानते ही है। जरा विचार करके देखें की ऐसे ओटीटी प्लेटफार्म्स में स्ट्रीमिंग हो रहे, अंधाधुंध गालियों की बौछार और अंतरंग दृश्यों के साथ फिलमाए गए। विडियो, फिल्मों या वेब सीरीज को देख कर बाल, किशोर और युवाओं के मन में क्या प्रतिक्रिया होगी। संस्कृति और संस्कार के छांव में रहने के बजाय, बच्चा व्यभिचार को प्रेरित करती इन अशिष्ट और बेहूदगी की हद पार करने वाली वर्चुअल प्रसारण की पाठशाला में बैठकर ये बच्चे भावी समाज की क्या तस्वीर रखेंगे यह सोचना ही पड़ेगा।

एक और दृश्य पर अवश्य ध्यानाकर्षण चाहूंगा कि, हर ओटीटी प्लेटफार्म्स में प्रसारित होने वाले विभिन्न सीरिज़ या फिल्म के दर्शक-दीर्घा में आये दर्शक यानी प्रिव्यू के आधार पर फिल्म के सफल या असफल होने की बात कही जाती है। भई बात आती है रिलिज़ के पहले प्रमोशन की जहाँ ऐसे एड या क्लिपिंग के साथ ट्रेलर रिलीज होता है कि क्या कहें? दर्शक ट्रेलर देखकर ही फिल्म की स्ट्रीमिंग डेट का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते है। बड़ी बात यह भी है कि अश्लील प्रदर्शन के कारण ऐसे प्लेटफार्म्स में दिन दोगुनी-रात चौगुनी दर्शकों की संख्या बढ़ने लगे है। ओटीटी पर प्रसारित होने वाले विभिन्न मनोरंजन के नाम पर चलने वाले अश्लील प्रदर्शन और अशिष्ट भाषा के प्रयोग पर लगाम कसने की आवश्यकता है। बहरहाल, देखते है इन प्लेटफार्म्स के प्रसारणों पर चाबुक चलाने वाली संस्था का गठन कब हो?? यह विचारीय प्रश्न है।


लेखक
पुखराज प्राज
प्रांताध्यक्ष
साहित्य साधना सभा, छत्तीसगढ़