Friday, July 17, 2020

केवल प्रमाण पत्रों के पीछे तो नहीं भाग रहे (लेख) : पुखराज प्राज


प्रात: आँख खुलते ही रश्मि नज़रों को स्पर्श करे ना करे, लेकिन टेक्नोलॉजी के ब्राईटर लाईट्स जरूर आंखों में जगमगाती है। सुबह पंक्षियों के चहचहाट के बीच, विचारों के लड़ियों में एक विचार भिन्न था, थोड़ा टेक्निकल भी, तो अलहदा स्वाद ने मन को उस ओर खिचा। विचार था वेबिनार के संदर्भ में कितना हम जानते है? उपयोगिता? और लाभ के विषय में विचार उमड़ने लगे। 

         वेबिनार का क्या है? इस विषय ने पहले ध्यान अपनी ओर खिचा और जवाब भी बड़ा सरल, इंटरनेट पर होने वाले वीडियो-कॉन्फ्रेंस यानी वेब कॉन्फ्रेंसिंग को हम वेबिनार की संज्ञा दे सकते है। वैसे शैक्षणिक पृष्ठभूमि में इसके मायने तलाशते है तो समझ आता है कि "वेबिनार, एक सुनियोजित ई-सेमिनार है। जहां किसी विषय पर तैयार योजना और सूचना प्रसारणोपरांत पंजीयन, सम्मेलन और फिर अनुभव साझा कर विमर्श एवं परीणाम निकाले जाते है।" इतने में पूरे शैक्षणिक वेबिनार का अर्थ आसानी से समझा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर वर्तमान समय में हो रहे वेबिनार्स में सम्मिलित होकर समझा जा सकता है। 

     चैट की सुविधाओं का आविर्भाव 1980 के अंत में हुआ। वहीं  90 के दशक में वेब आधारित चैट और त्वरित संदेश सॉफ्टवेयर का निर्माण हुआ। इसी दशक में वेबिनार शब्द को 1998 में एरिक आर कॉर्ब द्वारा पंजीकृत किया गया था, वहीं वर्तमान में इस शब्द का ट्रेडमार्क इंटर कॉल को सौपा गया है। 

वर्तमान समय मे वेबिनार की उपयोगिता के संदर्भ में विचार आया, कोरोना काल में सेमिनार का आयोजन संभव नहीं है, लेकिन वेबिनार का संचालन इंटरनेट के माध्यम से होता है जो इस समय सेमिनार का अपडेटेड वर्जन ई-सेमिनार के स्वरूप है। जो सोशल डिस्टेंस भी बनाए रखता है और कहीं आने जाने की आवश्यकता भी नहीं। वेब के माध्यम से ई-सेमिनार में सम्मिलित होते हैं और ज्ञानार्जन करते हैं। यह बेहतर विकल्प है। 

     इसी संदर्भ में एक और विचार अंजाने ही मन:पटल पर उभरा, वर्तमान समय में कई महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न विषयों पर समयावधि के अनुसार वेबिनार आयोजित किये जा रहे हैं। लोगों में वेबिनार के लिए जागरूकता का अंदाजा इसी बात से भी लगा सकते हैं कि वेबिनार में पंजीकृत होने वालों की संख्या कभी-कभी हजार को पार कर जाती है। यह तो के से कमाल है वाली लाईन से कम नहीं लगा, पर वेबिनार के आयोजन इतनें हैं कि कई ऐसे होनहार प्रतिभागी भी है जिनके पास २००+ ई-प्रमाण पत्रों का ढे़र लग गया है। एक औसत देखा जाये तो एक दिन में एक वेबिनार में प्रतिभागी पूर्ण इमानदारी से अध्ययन कर सकता है। कभी-कभी ई-प्रमाण पत्रों की चाह भी वेबिनार में अरूचिकर विषय में भी पंजीकृत होने के लिए मन बाध्य होकर प्रतिभागी हिस्सा ले लेते है। यह चिंता का विषय है, आयोजकों के लिए नहीं या चिंता उन प्रतिभागियों को स्वयं से करना चाहिए कितने इमानदारी से वे वेबिनार में आयोजित विषय से जुड़ पाये। उस वेबिनार से वे क्या समझते है? वेबिनार में सम्मिलित विषय के ज्ञाताओं के कई वर्षों के अनुभव को वह कितना समझ पाते है? इन सभी प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है। केवल वेबिनार में सहभागिता प्रमाण पत्र के लिए अपनी उपस्थित दर्ज करना उचित नहीं। 

बहरहाल, वेबिनार के उपयोगिता वर्तमान समय में अद्वितीय है। इसकी गरिमा सम्मिलित होने वाले प्रतिभागियों के निष्ठा पर निर्भर करता है। 


     आपका 
*पुखराज प्राज*