पात्र- ०१. प्रभारी ०२. राजेन ०३. कोतवाल ०४. कुछ लोगों
स्थल- कोरेंटाइन सेंटर का दृश्य
( गाँव में बने कोरेंटाइन सेंटर के पास बस रूकी। कुछ लोग बस से उतरे, अन्तर्राज्यों में काम की तलास में गए गांव के मजदूर १२ थे। उन्हे कोरेंटाइन सेंटर में रखा गया। लगभग तीन दिनों बाद कोरेंटाइन में रखे मजदूरों में से एक मजदूर(राजेन उर्फ भोंदू) भाग निकला, लेकिन कुछ दूर जाने के पश्चात् ग्रामीणों के विरोध के पश्चात्, ग्राम कोटवार ने उसे वापस कोरेंटाइन सेंटर में ले जाकर छोड़ दिया। कोरेंटाइन सेंटर के प्रभारी से संवाद- )
*दृश्य एक*
(गुस्से से तेज आवाज़ में)
प्रभारी- क्यों भोंदू? यहां से क्यों भागकर गए? तुम तो गांव पहुच ही गए हो ना, फिर भला ये नादानी क्यों?
भोंदू- साहब, मैं दो वर्ष से दूसरे राज्य में काम करता हूं। दो वर्ष बाद गांव आया हूं, माँ-बाबा से मिला नहीं था तो निकल भागा।(दबी जुबान से धीरे से कहा)
प्रभारी- अच्छी बात है की पुलिस के जवान अभी गस्त पर गए हैं यहां होते तो तुम्हारी धुलाई तो, पक्का ही था। खैर आते ही होंगे वो लोग...!!!!(डराने के लहजे में प्रभारी ने कहा)
भोंदू - साहब, माफी मांगता हूं, गलती हो गई है। पुलिस को मत बताईयेगा की मेैं भाग गया था, नहीं तो मेरी खैर नहीं।
प्रभारी- देखों राजन, कोरेंटाइन रखना भी आवश्यक है। वर्तमान में कोरोना महामारी फैला हुआ है। और जहां से तुम्हे लाया गया है वह भी रेड जोन में आता है। क्या तुम चाहोगे की तुम्हारी वज़ह से तुम्हारे माँ-बाबा और परिवार वालों के जीवन पर संकट आए?? बोलो.....!!!
भोंदू- नहीं साहब...!!!
प्रभारी- फिर दोबारा यहां से भागने की गलती मत करना। रोज चेकअप कराओं, फिर कोरेंटाइन पिरेड के बाद आराम से मिल लेना सबसे, भई आंखिर गांव तो तुम पहुच ही गए हो.. है ना।
भोंदू- जी, साहब ।
प्रभारी- यहां गांव में काम की कमी थोड़ी है? जो बाहर काम करने जाते हो? यहां काम क्यों नहीं करते??
भोंदू- साहब, यहां काम होता तो, दूसरे राज्य क्यों जाता। कोल्हू के बैल की तरह दिन रात काम क्यों करता?
प्रभारी- सरकार, तो काम दे रही है। आवास बन रहे हैं। साथ में स्वरोजगार के संसाधन उपलब्ध है। कहां तक पढ़े हो राजन तुम??
भोंदू- साहब, १० तक पढ़ा हूं फिर काम करने चला गया था। साहब आवास, रोजगार, स्वरोजगार बड़ी बातें है। ये थोड़ी ना दिल्ली है, गांव है साहब चार चक्कर बैंक के ना काटों, तब तक दाई के वृद्धापेंशन की राशि निकालना मुश्किल है। साहब, आपको शायद याद ही होगा, हमारे गांव से गर्मी के दिनों में चार कुएँ चोरी हो गए थे,स्वरोजगार के प्रयास हेतू लघु ऋण लेने के बारे में सोचकर ही डर लगता है।
- *पुखराज "प्राज"*