किशोरावस्था की तरफ कदम बढ़ाता बालक अपने स्मार्ट फोन पर न्यूएल्बम सॉंग देख रहा था। पीछे से किसी के आने की आहट हुई। यह दादा जी थे। गानों के बेसुरे बोल और अश्लील छायांकन देखकर दादा जी बोले- " बेटा ! ये कौन सा बेसुरा संगीत सुन रहे हो? जिसमें ना तो सही धुन है और ना ही वेशभूषा की लज्जा..!!
दादा जी की बात को बीच में ही काटते हुए बालक बोला- "दद्दू! ये आधुनिकता का दौर है , आप ठहरे ओल्ड पुअर पीपुल,,,आप की समझ में यह सब। नहीं आयेगा।"
दादा जी पोते को बहुत कुछ कहना चाह रहे थे उसे तेज जबान पोते ने कहने न दिया।। अब दादा जी ने गहरी साँस ली-" ठीक है बेटा,"अगर आधुनिकता इसी नग्नता रूपी भयावह परिवेश का ही नाम है , तो बेटा ,हम पुराने ही भले।"
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पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़