Tuesday, April 28, 2020

Old Love Letter : written by poet pukhraj praj

           (Old Love letter)


धुंधली होती यादों के बीच, 
        एक याद कभी ना पुरानी हुई।
एक तो तुम हो और दूजी, 
        तुम्हारे लिए लिखा, लब लेटर। 

कमाल के दिन थे,बीते सारे, 
        छोटी-छोटी बातें,हसते बेफिकर। 
युँ मुस्कुराना,इठलाना,शरमाना, 
        अदाएँ सारी, हो जाती थी स्वेटर। 

भ्रमर सा,गली में तेरे मंडराना, 
      वो नज़र झुकाकर नज़रें टकराना। 
लिखा था रात जागकर ख़त, 
      मगर भेजने से पहली ही कतराना। 

वो गुलाब शुष्क होकर,रह गई 
     डायरी में दबकर बरसो मगर, 
वो ए़हसास फिर जी उठते हैं, 
     जब भी दराज़ खुले,दिख जाता लेटर..! 

वो पुराना लब़ लेटर...!!

               पुखराज प्राज