आज के इस आलेख का प्रारंभ हम युनिवर्सिटी यानी विश्वविद्यालय के परिभाषा से करते है- "शैक्षिक अनुसंधान एवं उच्चतम स्तर की शिक्षा प्रदान करने वाला संस्थान, विश्वविद्यालय कहलाता है।" यहां तक तो ठीक है फिर ख़्याल आया की दुनिया की पहली विवि कौन सी होगी...! आपको क्या जवाब़ पता है जनाब़....?? चलिए मैं बताता हुं २७०० वर्ष पहले यानी ६०० बीसी में इसी भारतवर्ष या आर्यावर्त या अखंड भारत के पावन भूमि पर दुनिया के पहले विश्वविद्यालय के रूप में तक्षशिला (वर्तमान पाकिस्तान के जिला रावलपिंडीं में अवस्थित) निर्माण हुआ था। उसी समकालिन नालंदा विवि भी भारतभूमि के गौरव में चार-चांद लगाता था। जहां 10,000 से अधिक छात्र पढ़ते थे। जहां भारत के अलावा अन्य देशों के छात्र कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस और तुर्की से विद्या ग्रहण करते थे। जिनके शिक्षा के लिए 2,000 शिक्षक मौजूद रहते थे। गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम 450-470 ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इसमें सात बड़े-बड़े कक्ष थे। इतना ही नहीं, इस विश्वविद्यालय में तीन सौ अन्य कमरे और अध्ययन के लिए नौ तल का एक विराट पुस्तकालय था, जिसमें लाखों किताबें थीं। ये सूनकर ही हृदय में गौरव की लहर दौड़ पड़ी। समय बीता, दिन बीते, धीरे-धीरे वर्ष, दशकों में और दशक, सतकों में बदलते- बदलते वर्ष २०२० के वर्तमान दौर पर ले आया।
ज़रा सोचिए की आपका इतिहास मजबुत हो, तो संभव है वर्तमान भी विराट और विशाल होगा। साथ ही भावी वर्षों में आप और बेहतर से बेहतरिन होने का प्रयास करेंगे। एक आकड़ा देखते है। वर्ष २०२० के टाईम हायर एजुकेशन डॉट कॉम के विश्व स्तर की रैंकिंग में पहले स्थान पर युनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (युके) को प्राप्त है। यहां पर मेरा मन में विचार आया की हमारे देश के विवि का विश्व स्तर के रैंकिंग में प्रथम स्थान नहीं मिला आंखिर क्यों? थोड़ी जांच-पड़ताल चालू किया पता चला की उस रैंकिंग प्रदत्त संस्था के टॉप २५ और ५० में भी भारत के किसी भी विश्वविद्यालय का नाम नहीं है। थोड़ा दुख हुआ की भई... हम दुनिया को पहला विश्वविद्यालय दिये हैं, और अपने ही देश के किसी विवि को विश्व पटल पर शीर्षवरीयता प्राप्त नहीं हुआ है। यह दु:खत् विषय है।
विचार आया क्या कोई विशेष संदर्भ/प्रयास/प्रयत्न नहीं होते विशेषताओं के वृहद अंगिकरण हेतु या किसी भी प्रकार का राष्ट्रीय स्तर पर जांच एवं देख रेख के लिए समितियां बनी है या नहीं?? तो जवाब़ मिला-
देश के शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) और नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिएशन (एनबीए ) करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ ) की शुरूआत २०१५ में की गई है। एनआईआरएफ पांच व्यापक मापदंड़ों के आधार पर संस्थानों के रैंकिंग प्रदान करता है। इनमें शिक्षण-अधिगम संसाधन, अनुसंधान एवं व्यावसायिक प्रक्रियाएं, पहुंच एवं समावेशिता, अवर स्नातक परिणाम और अवधारणा जैसे मानक शामिल है।
लेकिन फिर भी मन में विचार आया की आखिर ऐसी कौन सी वज़ह है जिसके कारण हम पीछे हो रहे हैं । तभी स्वामी विवेकानन्द जी के शब्द याद आये- "यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं।"
यानी मनुष्य चाहे तो क्या नहीं कर सकता। तभी स्वामी राम तीर्थ के शब्द कान में सुनाई पड़े- "यदि तुम्हारा हृदय ईमान से भरा है तो एक शत्रु क्या, सारा संसार आपके सम्मुख हथियार डाल देगा। " फिर मष्तिष्क ने एक सरल शब्दों में मेरे अनसुलझे सवाल का जवाब़ दिया और कहा-
शिक्षा, के प्रति अटल प्रेम और ईमानदारी से शिक्षा ग्रहण करने से लेकर शिक्षा के हर एक पहलुओं को समझने की ठान लें और शिक्षा को रोजगार के लिए नहीं मष्तिष्क के विकास के लिए ग्रहण करने की भावना पालनें वालों विद्यार्थी जिस-जिस विश्वविद्यालय में पढ़ेंगे। वह विश्वविद्यालय, नालंदा और तक्षशिला की भांति विश्व पटल पर प्रथम पंक्ति में स्थापित होगा।
आपका
पुखराज "प्राज"
संदर्भ :-
०१. विश्वकोश
०२. टाईम हायर एजुकेशन डॉट कॉम
०३. विकिपीडिया डॉट कॉम
०४. क्योरा
०५. दैनिक भास्कर समाचार पत्र
०६. पत्रिका समाचार पत्र