विज्ञान- *"कैसे हैं!!!*
साहित्य- *बस बढ़िया , और आप*
विज्ञान- *हम तो रोज नये-नये आयाम को छू रहे है!! आप अपनी सुनाओ??*
साहित्य- *बस ठीक कह लीजिए क्योंकि, मुझे शिखर देने वाले मेरे कल्पकार तो आजकल बीजी है। शायद जहां हूं वही पर ही स्थिर हूँ, अच्छा है आपको जो चाहते है उनमें लगन है...मेरे अालिंदी के स्पंदनों में अभी वो कमी है।*
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समाप्त् बांकि आप समझदार है आप मै क्या कहना चाह रहा हूँ....
आपका
"पुखराज यादव "पुक्कू"
महासमुन्द
Sunday, September 9, 2018
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साहित्य और विज्ञान के बीच की वार्तालाप
By कवि प्रॉज September 09, 2018