Sunday, September 9, 2018

साहित्य और विज्ञान के बीच की वार्तालाप

विज्ञान- *"कैसे हैं!!!*
साहित्य- *बस बढ़िया , और आप*
विज्ञान- *हम तो रोज नये-नये आयाम को छू रहे है!! आप अपनी सुनाओ??*
साहित्य- *बस ठीक कह लीजिए क्योंकि, मुझे शिखर देने वाले मेरे कल्पकार तो आजकल बीजी है। शायद जहां हूं वही पर ही स्थिर हूँ, अच्छा है आपको जो चाहते है उनमें लगन है...मेरे अालिंदी के स्पंदनों में अभी वो कमी है।*
______________________________________________
समाप्त् बांकि आप समझदार है आप मै क्या कहना चाह रहा हूँ....

                            आपका
                  "पुखराज यादव "पुक्कू"
                          महासमुन्द