Sunday, September 9, 2018

वेदनाओं का छंद

किससे बयां करें,
        और कह भी दोगे तो क्या होगा?
थोड़ा भाव भरेगा,
        थोड़ा जख्म़ पर महरम मलेगा?
फिर थोड़ा वो भी,
        शब्दों में लपेट कर परोस देगा!!
हो सकता है तुम्हे,
        नायक सा खड़ा करे समाज पर,
या भून ही डालेगा,
       आलोचनाओं के दहकते आग पर।
इससे ज्यादा क्या होगा??
       ना भरेगा मन, ना पीर तनिक घटेगा।
क्यों बयां करू ये सोंच,
       कह भी दोगे तो क्या होगा???
       कह भी दोगे तो क्या होगा???

         *✍🏻पुखराजय यादव*
                 9977330179