मै दूर ग्रह से आया हूँ,
जैसे तुम आए थे चांद पर..!
मेरे लिए एलियन तुम...
तुम्हारे लिए एलियन मै.....!
इक दिन बहस जरूर होगी,
आशमं तले किसी मकाम पर।
तुम तो सिर्फ पहूचने लगे हो,
चांद,मंगल और दो चार नाम पर,
हम तो तुम पर रिसर्च कर रहे,
कई प्रायोगिक कोर्स है मियां..,
पृथ्वीवासियों के पहचान पर।
सोशल से प्रोफेशन व वोकेशनल,
रनिंग स्डटी पहुंचने लगी मकाम पर ,
कितनी भारी भ्रांति है रे ....! भाई,
कुछ तो सोशल मैकेनिज्म ठीक करो।
कितने बटे हो तुम सारे के सारे,
जाति-धर्म,क्षेत्र-परिक्षेत्र,रंग-ढ़ंग और..
जाने किन-किन कारणों के मान पर!
मै दूर ग्रह से आया हूँ....
जैसे तुम आए थे चांद पर........।
एलियन हो तुम मेरे लिए,
जैसे मै एलियन तुम्हारे लिए....।
और तुम्हारे नैतिक मुल्यों की कुंजी,
क्या वह नहीं रही अब कोई पुंजी..।
धड़ल्ले से जैसे फेक देते हो यार तुम,
ठीक नहीं ये चलो नेक्स्ट वाली कुंजी।
अश्लीलता की तमाम दलिलें देते तुम,
मगर सब देखते छुपकर चादर तान कर।
झगड़े-झंझट के पक्के दर्शक हो तुम,
कहते मर जाने दो,दो-चार लोगों को युँ,
आपसी रंजिश,व जातिवाद के नाम पर।
और हो तुम पक्के उपदेशक निट्ठल्ले,
कुछ फॉलो भी किया करों आदर्श के नाम पर,
बहन-बेटी अपनी प्यारी तुम्हे,
दूसरों की क्यो भूल जाते????
क्यों बेंच बैठते व्यवहारिकता को,
बन कर दलालों से तुम....बोलो,
क्यों शिकार बनाते अबला को?,
क्यो पट जाते अखबार रोज-रोज,
छेड़छाड़,बलात्कार और प्रतारणा के...
गुनाह के नाम पर.....
मै दूर ग्रह से आया हूं,
जैसे तुम आए थे चांद पर...
मै दूर ग्रह ले आया हूं,
जैसे तुम आए थे चांद पर....
तुम हो मेरे लिए एलियन....
मै ठहरा एलियन तुम्हारे लिए...!
*🙏पुखराज यादव "पुक्कू"🙏*
महासमुन्द