Monday, August 20, 2018

जनतंत्र में यार इतनी स्वतंत्रता सभी को मिलनी चाहिए....

बेख़बर है वो,मगर हाल मेरे महबुब की बदलनी चाहिए।
कितनी जिय़ारत, तस्वीर उनकी दिल में उतरनी चाहिए।

किसने तुम्हे बता दिया की वो जन्नत के बासिंदे ठहरे है,
रंग जाओं उसमें ऐसे की जन्नत जम़ी पर ढ़लनी चाहिए।

और चंद ठेकेदारों से क्या वास्ता रखना तुझे सनम मेरे,
महल का नक्शा तो अालिंदी के छाप पर बढ़नी चाहिए।

किसी से, बेवफाई मोल ना कर सारे उसके आशिक है,
सबको आजादी के प्यालें में बराबर खुशी मिलनी चाहिए।

मुझे शौंक नहीं किसी को झुकाए रखकर वफ़ा करवाना,
जनतंत्र में यार इतनी स्वतंत्रता सभी को मिलनी चाहिए।

क्या पता किस रोज,किस डगर पर पत्थर में पुखराज हो,
नमन करते सभी को आहिस्ते ही जिंदगी चलनी चाहिए।

       _*©पुखराज यादव"पुक्कू"*