Tuesday, February 13, 2018

कुछ बेवकूफियाँ....

कुछ बेवकूफियाँ,
कुछ नादानियाँ है।
आज भी जवाँ-जवाँ....
तू दूर खड़ी है,
मै भी ठहरा-सा,
बरसात है यहाँ-वहाँ....
शहर में ठहर हूँ तेरे,
आके मिल तो जरा
क्यों भेजे चिट्ठी यहाँ-वहाँ।
दबे पाँव,
आहिस्ते।
आना रहू जहाँ-जहाँ.....।
     ©पुखराज यादव