Tuesday, February 13, 2018

दिल की किताब....

कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।

नाजुक-नरम्,
लगे जो ख्वाब।

इश्क मिला मुझे,
जैसे हो मेहराब।

२४घंटे चढ़ाए रखुँ,
तुम हो,वो आदाब।

कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।

रंगीन नावेल सी,
जैसे नशीली शराब।

पढ़ते-पढ़ते खोए,
हो जैसे गर्म शबाब।

क्या,क्या नहीं है,
मिलेंगे आफताब।

कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।

कहीं न कहीं आपमें होगा,
आपका अपना पुखराज।

    ©पुखराज यादव