कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।
नाजुक-नरम्,
लगे जो ख्वाब।
इश्क मिला मुझे,
जैसे हो मेहराब।
२४घंटे चढ़ाए रखुँ,
तुम हो,वो आदाब।
कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।
रंगीन नावेल सी,
जैसे नशीली शराब।
पढ़ते-पढ़ते खोए,
हो जैसे गर्म शबाब।
क्या,क्या नहीं है,
मिलेंगे आफताब।
कुछ तो साफ्ट है,
दिल का किताब।
कहीं न कहीं आपमें होगा,
आपका अपना पुखराज।
©पुखराज यादव