प्रेम के प्रारंभिक
क्षणों का चित्रण करने का एक प्रयास कर रहा हू... जहां किसी शादी के महौल में जब दो
जवां दिल मिलते है तो नैनों से जो बाते होती है और जो प्रेम संबंध तक आती है! उसे उकेरने
का एक हृदय की कृति है.... मस्त मगन से इसका अनंद लेने का प्रयास करे.....!
हाथ दो तुम जरा,
नाम लिख दु मेरा..!
नयनो के इशारें,
तेरे बडे तेज है..!
नैनों में पहचान,
आ रख दु मेरा..,
तुम भी हो मोहित,
सम्मोहन में मै भी,
इस मत को नाम देदू
जरा..,
हाथ दो तुम,
नाम लिख दु मेरा..!!१!!
दे इजाजत मुझे,
छेड़ लु पल्लू तेरा,
पुष्प दु कैसे तुम्हे,
कली सी खुद तुम हो,
नैनों के खेल में,
शातिर बडी तुम हो,
छु लुं अधरों से,
अधर मै तेरा,
हाथ दो तुम,
नाम लिख दु मेरा..!!२!!
तेरी सखियां छेडती,
बावरी रखती तुमपे,
नजरों का वो पहरा,
हसती कहती मुझसे,
न जाना मंजिल तीसरा,
तुम बताओ तो सही,
क्या है ये पुरा
माजरा,
हाथ दो तुम जरा,
नाम लिख दुं मेरा..!!३!!
भोली उतनी भी नहीं,
जितना मै हूं समझता,
पढ तो लेती हो खत मेरा,
जवाब देती कहां?,
मन मेरा हुआ जाये बावरा,
कह दो जो दिल में है..
लेके आश कब तक रहू...
कुछ तो कह,
बैठा जाए दिल मेरा,
हाथ दो तुम जरा,
नाम लिख दु मेरा..!!४!!
आया खत जब से,
मन ममन हर्ष है..,
खत में मेर तेरे,
प्रेम का रस है..
कुबुल जो करली हो
तुम,
प्रेम-प्रेम मेरा...
हाथ दो तुम जरा..
नाम लिख दु मेरा..!!५!!
आपका
पुखु छत्तीसगढिया