जब कोई अपना हमसे
दुर हो जाता है तो सिर्फ वो नजरों से ही दूर होता है, लम्हे, यादें,बाते और मुलाकाते
हर चीज दिल में एक जगह बनाये रखता है..! उसे किसी भी ई-रेजर से नहीं मिटा सकते आप...
ऐसी ही आप इस कविता में पायेंगें जिसमें एक लडकी की चर्चा है... प्रेम के चर्म सीमा
के साथ इन पंक्तियों का अनंद ले....!!
वो पगली लडकी याद
आती है..,
खन-खन करती चुडीयों
की,
खनक सताती है,
वो प्यारी सी परी,
पल् पल् हर कही नजर
आती है..,
वो पगली लडकी याद
आती है..!!१!!
हसती थी वो चुपके शरारते करती,
छिप जाती परदे की आड में,
पगली छिपकल्ली से डरती,
बाहों में भरती,
कभी मुझे बातों-बातों में लडती,
हर शरारते उसकी बडी भाति है,
वो पगली लडकी बहुत याद आती है..!!२!!
झल्ली , पूरी मस्तमौली
सी,
हर बात पे बेफिक्रे
सी रहती,
छोटी-छोटी बातों
में हस्ती रहती,
किसमत से भी लडती,
न किसी से डरती,
खुद को लेडी रॉबिन
हुड कहती,
उसकी यादे रियली
सताती है,
वो पगली लडकी याद
आती है.!!३!!
बेबी-बेबी,मेरा पुकू मेरा पुकू,
कहते दिन भर रहती,
बाहों में आके जैसे,
पूनम सा मन चित्वन करती,
झल्ली कितना सताती है..
वो पगली लडकी याद आती है..!!४!!
बावरी सी बयार वो,
जैसे खुशियों की
त्योहर वो..,
नटखट चेहरा उसका,
कागज की कस्ती उसकी,
भीगी बरसात की उसकी
मस्ति,
सपनों में अक्सर
याद आती है..,
क्या बताऊ ऐ दिल
मेरे,
वो पगली लडकी बहुत
याद आती है...!!५!!
कच्चा पका उसके हाथ का पास्ता,
पैदल काटा जो जिन्दगी का वो
रास्ता,
मिल कर बनाया जो एक दास्ता,
यादों की किताब में उसकी यादें..,
साथ बिताई जो जागते रातें,
उसकी महक वाली खुशबू,
आज भी सांसों में बहती है..
हर कही वो नजर आ जाती है...
वो पगली लडकी बहुत याद आती है...!!६!!
आपका
पुखु छत्तीसगढिया