Tuesday, November 29, 2016

एक गांव, ऐसा जहां सुबह की शुरूवात गायत्री मंत्रों से होता है.......pukku

एक गांव, ऐसा जहां सुबह की शुरूवात गायत्री मंत्रों से होता है.......


सुबह की शुरूवात सभी के लिए महत्वपुर्ण होता है, जैसे कोई सुबह-सुबह मां के हाथों से बने चाय का इंतेजार करते है तो कोई भजन और स्तुति वंदना के साथ सुबह का आरंभ करते है। आज हम ऐसे ही एक अनुठे और अद्वितीय गांव की एक रोचक और सत्य कहानी बयान कर रहे है। छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले का एक छोटा सा गांव है सोनासिल्ली। नाम से ही मानो जैसे यह गांव किसी पौराणिक परिदृश्य का बोध करता है,खैर यह तो एक प्रकार से नाम को सुनकर मन में उठने वाली कल्पना मात्र है। यहां के लोगों में धार्मिक आस्था और रीतिरिवाजों को मानने वाले बहूत ही सरल लोग इस गांव के ग्रामीण जन है।  सोनासिल्ली गांव को वैसे प्रकृति ने भी जैसे प्राकृतिक सौद्र्य का उपहार दिया है। गांव के भौगोलिक संरचना में एक ओर जहां चट्टानो का खदान है वही गांव का सौद्र्य अलंकरण करती सुखा नदी का इस गांव की सीमा का संरक्षण देती है।
                         

कृपाराम यादव शिक्षक ही नहीं समाज विचारक भी है...........
    यह गांव इसलिए भी अद्वितीय है क्योंकि इस गांव की सुबह अन्य गांवों से भिन्न होता है। प्रातः चार बजे का वक्त हो तो ध्वनिविस्तारक यंत्र के माध्यम से गांयत्री मंत्रों का जाप सुनाई देता है। वही प्रातःकाल के इस बेला में जैसे पंक्षी भी स्वर में स्वर देकर प्रातःकाल का शंखनाद करते है। इस सब के पीछे है एक शिक्षक श्री कृपाराम यादव जिनके द्वारा ग्रामजनों रोज प्रातः उठ कर नित गायत्री मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वही ग्रामवासी भी उनके इस पहल को अनुठा और धर्म प्रधान मानते है। कुछ लोगों से हमने बात किया तो पता चला कि जिस दिन कृपाराम यादव जी गांव में अनुपस्थिति हो तो प्रातःकाल का पता ही नहीं चल पाता है। उन्हे रोज-रोज गायत्री मंत्रों के उच्चारण के साथ दिन प्रारंभ करने की आदत सा हो चला है। मानों जैसे आप किसी गांव में नहीं अपितू किसी पवित्र तिर्थ स्थल में हों इसका अनुभाव रोज ग्राम जानों को होता है।

कृपाराम यादव जी एक शिक्षक ही नहीं बल्कि एक समाजिक विचारक भी है। गांव के लोगों को किसी भी प्रकार की जानकारी जैसे पंचायत के कामकाज की सुचना का प्रसारण हो या फिर किसी भी कार्यक्रम के उल्लेख में जानकारी देना हो। अपने घर में लगें ध्वनिविस्तारक यंत्र के द्वारा सामान्य जनों से इनका एक प्रकार से संवाद हो जाता है। इससे कम समय में ही सभी लोगों को किसी भी प्रकार की जानकारी मिल जाता है।


विचारों के उत्थान में सफल प्रयास

कृपाराम यादव जी के द्वारा किये जा रहे प्रयासों से लोगों मे एक सद्भावना है और समाज में परस्पर विभिन्न वर्गो जाति और समुदाय के लोगों में आपसी सहमती और सहयोग की भावना है। इस गांव में कभी भी चोरी जैसी घटनाओ के मामले नहीं के बराबर होते है। किसी भी व्यक्ति का काई भी समान खो जाने पर संवाद(माइक-अलांऊस) के माध्यम से वह वस्तु प्राप्त कर लिया जाता है।

नन्हें बच्चों में धार्मिकता का संचार
कृपाराम यादव के द्वारा रोज गायत्री मंत्र पाठ का सबसे ज्यादा प्रतिकात्मक स्वरूप या उदाहरण बच्चों को विचारों और उनकी सोच से साफ अवलोकित किया जा सकता है। मै एक नन्ही सी बच्ची कु. रिया साहु का उल्लेख करना चाहुगा जिसकी आयु यही कोई एक वर्ष और कुछ माह की होगी उस बच्ची को गायत्री मंत्र का पाठन करते देखा जा सकता है।