विचारों को नकारात्मक ना होने दे......
किसी महान हस्ति ने कहा है कि जो हम सोचते है वैसे हम बन जाते है। आलोचकों के परिधि में भी यही चरितार्थ है। पर क्या यह वास्तविक है कि हम जो सोचे वह बन जाएगें? मान लें की आप विचार करते है कि मै समाज सेवक हो जाऊ और मेरा बडा यश हो समाज में लोग मुझे जाने यह सब सोचना तो आसान है पर क्या आपमें वों कबिलियत है जो आप उस मुकाम का सपना देखते है। अगर हां तो यह ध्यान दे कोई भी समाज सेवक नाम के लिए सेवा नहीं देता है। आप समाज में सेवा देने लगे और सब कुछ ठीक ठाक चलते रहता है फिर अचानक आपको इस सबसे मन उबने लगता है इसका कारण है आपके विचारों की अशुध्दि होना है। जब भी जीवन में कोई कठनाई आता है तो विचारों को हम नकारात्मकता का चोगा पहनाने लगते है। इससे संगत गलत मिलने लगता है फलन हम किसी भी विचार को पढते ही यह पूर्वाग्रह बना लेते है कि यह तो सिर्फ किताबे है। ऐसे पुर्वाग्रहों का जब तक हम नास नहीं करेगें और नकारात्मक विचारों से दूरी नहीं बनाएंगें तब तक सफलता हमसे कोशो दुर ही रहेगा।।
आइये आज से सिर्फ सकरात्मक विचारों के अधिन ही रहेगें सफलता आपके निकट जल्दी आऐगा।
विचार बिचार के रखौ,मत हत एक समान।
जौ जिते संग्राम, तै ही पाए पुर्वाग्रह निदान।।
आपका
पुखराज यादव