पानीः एक अमृत और औषधि
पानी को हम जीवन के पाच आवश्यक तत्वों मे से एक मानते है यह वास्तविक है। पानी को कई कवियों कई मनिषियों ने अलग-अलग उपमाओं में बांधा है। पानी के उल्लेख में मै अपना एक पक्ष रखने की कोशिश कर रहा हूं। पानी जीवन का ना सिर्फ एक आधार स्तंभ अपितू एक औषध से कम नहीं है। हम सब के दिनचर्या में एक सामान्य बात है स्नान करना जो नित क्रिया है। स्नान के बाद एक अद्वितीय ताजगी मिलता है यह ताजगी पानी के औषधि होने का प्रमाण है। कभी भी सिर में दर्द हो पानी का सिर में आचमन करने से सिर का दर्द कम हो जाता है। क्या कभी आपने एक बात पर गौर किया है कि कोई मेहमान अगर हमारे घर आते है तो यह एक प्रथा ही है कि हम अतिथि को पानी सबसे पहले देते है। सफर से आने के बाद शरीर में थकावट रहता है। पानी से हाथ पैर धोने के बाद आराम करने के बाद पानी पीने से शरीर के कष्ट दुर हो जाते है। शायद इसी कारण ही इस युग में पानी को सबसे बडा अमृत कहा जाता है। वैसे पानी से हमे यह भी सीखना आवश्यक है कि पानी किसी से भेदभाव व्यवहार कि परीधी से अलग रहता है। समाज में लोगों में खासकर जातिगत भेदभाव देखने को मिलता है। जरा सोचिए पानी जो जीवन दायनी है वो किसी से बैर नहीं रखती ना ही भेदभाव तो हम क्यों छुआछुत, भेदभाव को आज भी दिल के किसी कोने में अवैध कब्जा करने देते है। खैर पानी कि तरह व्यवहार करते रहीए देखिएगा जीवन कितना हसी किताब बन जाएगा और जीवन के नित नये पन्ने आपके अगली सुबह इंतेजार करते रहेगा।।
पानी पानी पुछे पता, पानी दिये राग।
पानी जीवन धरा, सा मन प्यारे राख ।।
आपका
पुखराज यादव