Thursday, November 3, 2016

धनतेरस क्यो मनाते है?

                             धनतेरस




धनतेरस क्यो मनाते है?
कहते  है कि धनतेरस को धन की और स्वाश्थ्य की प्राप्ति होती है। धनतेरस का शाब्दिक अर्थ निकाले तो ज्ञात होता है कि धन का तेरह गुना होना या कहने का आशाय यह है कि उसदिन सबसे बडा धन प्राप्त होता है, अर्थात् मन की शांति का प्राप्त होना कहा जा सकता है। धनतेरस का पर्व के मनाने का कई पौराणिक कथाए हैं-
1.    धन्वन्तरी जी का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि धन्वन्तरी जी का जब जन्म हुआ था तो उनके हाथों में अमृतकलश था। इस लिये यह मन्यता है कि इस दिन बर्तन के खरिदने की परम्परा वही से जन्मा है । इस दिन धन अर्थात् वस्तू खरिदने से वह तेरह गुना हो जाता है।
2.    खरिदारी प्रमुख्य पर्व-
इस दिन कृषक वर्ग के लोग अपने खेत खलिहानों के लिए औजार, बीज और अन्य सामाग्री का क्रय करते है जो कि उनके लिए लाभ प्रद होता है।वही कई लोग इस दिन चांदी के सामग्री का भी क्रय करते है। और पात्र की भी खरिदारी करते है। उसी पात्र में दिपावली के दिन भगवान जी की पुजा किया जाता है।
3.    सबसे बडे धन की प्राप्ति-                              
 एक मान्यता यह भी है कि चांदी को चंद्रमा का प्रतिक माना जाता है। जो की शीतलता  प्रदान करता है और मन में संतोष की प्राप्ति होता है। और दुनिया में मन के संतोष से बडा कोई धन नहीं होता है।
4.    स्वाश्थ्य लाभ की कामना-
 भगवान धन्वन्तरी  को चिकित्सा का देवता भी कहा जाता है। आज के दिन उनसे भक्त जन स्वास्थ्य और सेहत की कामना करते है।
5.     राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस -
आज के दिन को भारत सरकार ने आयुर्वेद दिवस के रूप में घोषणा किया गया है। प्रत्येक वर्ष धनतेरस के दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में चिकित्सया पर्व के रूप में मनाया जाता है।।