Thursday, November 3, 2016

क्यों मनाते है भाई दूज?

                                 भाई दूज


  
  क्यों मनाते है भाई दूज?
रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते है। उसी पर्व की भांति ही भाई दूज के दिन बहन अपने भाई के रक्षा और उसके सौहाद्र के कामना इस दिन करती है। बहने इस दिन व्रत रखती है। वही भाई को आदर और सत्कार कर उसकी आरती उतरती है। भाई को अपने हाथों से बना भोजन कराती है। एक मान्यता ये भी है कि भाई के जीवन में कोई भी कष्ट हो इस दिन अगर भाइ दुज की प्रसाद का अर्जन करले तो जीवन की बडी से बडी बाधा का नास होता है । वहीं आयु भी लम्बी होती है।
2.    पर्व की महत्ता
कहते है कि काल पर विजय पाना आसान काम नहीं होता है। काल का रास्ता मोडना इतना आसान नहीं है। भाईदुज पर्व का पूजन व्रत और कथा का अनूसरण करने से जीवन के ह्रास और बाधाओं से मुक्ति मिलता है। वास्तव में कहा जाता है कि भक्ती में ही शक्ति है। बहने जिस प्रेम और स्नेह से भाई के लिए लम्बी आयु की कामना, मनोरथ मांगती है कि उसके सामने यम जैसे देव को भी दिर्घायू का आर्शिवाद देना पडता है।
3.    पौराणिक कथाओं के आइने में
सुर्य देव जी की पत्नी छाय की कोख से यमराज और यमुना देवी का जन्म हूआ। यमुना जी अपने भाई से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना जी के बात को टाल जाते थे। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना जी अपने द्वार पर अचानक यमराज को खडा देख कर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित होकर भाई का स्वागत -सत्कार करने लगी और भोजन कराया। इससे यमराज प्रसन्न होकर यमुना जी से बोले की वर बहन कोई वर मांगों, तब बहन ने भाई से कहा कि आप आज ही के दिन हर वर्ष मेरे घर भोजन  करने आया करेगें तथा जो भी बहन अपने भाई को इस दिन टिका लगा कर भोजन कराये उस भाई को आपका(यम) भय ना रहे। तभी से भाई दूज मनाया जा रहा है।
4.    प्रेम प्रतिक है भाई दूज
भाई बहन के प्रेम और स्नेह का बंधन बहूत ही अटूट और पवित्र होता है। देव हो दावन हो या मानव हो सभी के संबंधों में देखे एक ऐसा पवित्र बंधन होता है भाई बहन का। चाहे रावन हो, चाहे वासुदंेव , चाहे यमराज हो चाहे अर्जुन सभी के जीवन के सार अंध्ययन में ज्ञात होता है कि सबसे ज्यादा करीबी बहन ही है।
5.    वर्तमान में स्थिति
वर्तमान समय में भाई दुज दिपावली और गोर्वधन पुजा के अगले दिन पडता है। लोगों में जैसे हर्षोल्लास और आनन्द के पर्व में यह पर्व का आना जैसे सोने पर सोहागा जैसे ही है । हमारे छŸाीसगढ़ अंचल में भी भाईदुज का पर्व बहुत ही उत्सव के साथ मनाया जाता है। बहने भाई के लम्बी आयू की कामना करती है।

6.    सारांश
संसार के किसी भी कोने में आप रहे पर बहनें आपकी भाईदुज पर घर आने का इंतेजार करती रहती है। देर ही सही पर हर भाई का यह फर्ज बनता है कि इस दिन अपनी बहनो से जरूर मिले। वो कहते है ना की ईश्वर हर कही है -जैसे हमारे साथ है कण-कण में है। हो सकता है बहन के रूप में एक दिव्य शक्ति हमारी इंतेजार में बैठी हो, आओं उत्सव मनाए। भाई-दुज मनाए।।
                             आपका
                           पुखराज यादव