Tuesday, November 29, 2016

500 और 1000रूपए के नोटबंदी पर मेरे कलम से विचार

500 और 1000रूपए के नोटबंदी पर मेरे कलम से विचार



आज हमारे देश में एक लडाई और लडी जा रही है। ये लडाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है बल्कि भ्रटाचार के खिलाफ लडा जा रहा है। हमारे प्रधानमंत्री मा. श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 500 और 1000 रूपए के पुराने नोट बंदी करने का ऐतिहासिक ऐलान 8 नवम्बर2016 की रात्रि 8ः00 बजे किया गया । रात से ही पूरे भारतवर्ष में आम जन हो या खास सभी अचम्भित थे। लोगों में अफरातफरी का माहौल बन गया। रात के वक्त कई लोग पुराने 500-1000 रूपये के नोट खपाने में लग गए, लेकिन निन्द तो उनकी उड गयी जिनके कपडों का रंग तो सफेद है लेकिन कारोबार काला है। आतंकवाद, जालीनोट , भ्रष्टाचार और हवाला जैसे कामों को बढावा देने वाले लोगों के लिए तो यह ऐतिहासिक फैसला जैसे मानों किसी वज्रपात से आघात किया गया हो। खैर जो भी हो हमारी गवमेंण्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिससे भ्रष्टाचार पर नकेल लगना तो तय है।

थोडा संयम ही सही पर बंद होगा भ्रष्टाचार
नये नोटों कि उपलब्धता के लिए रिजर्व बैंक आफ इण्डिया प्रतिबध्द है लेकिन पुरे राष्ट्र मे नए नोट को लोगों तक पहूचाने और पुराने नोटों को वापस लेने में वक्त लगता है सरकार के द्वारा 50 दिनों तक पूराने नोटों केा बैंकों में जमा कराने की मियाद तय किया गया है। वही पैसो के लिए लोगों की लम्बी -लम्बी कतार हर शहर में एटीएम के बाहर देखने को मिल रहा है। पर लोगों में यह भी उत्साह देखने को मिल रहा है की हम भी भ्रष्टाचार की लडाई में भागीदार तो है। लोगों का यह मानना भी है कि चाहे एटीएम के कतार में 24घंटे क्यों ना खडा होना पडे हो जाऐगें पर भ्रष्टाचार से मुक्त भारत का निर्माण का सपना साकार कर दिखऐगें। ये सोच आज हर आम भारतीयों की है।

विरोध क्यों?
जहां आम जनता मोदी जी के फैसले के साथ नजर आ रहे है वही राजनीतिक गलियारे के कई विद्वान ऐसे भी है जो सरकार की इस फैसले का विरोध करते नजर आते है। साहब यह समझ नहीं आता की क्या भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के नाम पर हो रहे एक पहल के खिलाफ क्यों हो रहे है। माना कि आप पक्ष-विपक्ष के बेडीयों में है पर क्या इसका मतलब आप देशहित में लिए गये फैसले के खिलाफ हो । जरा विचार करिऐ।।