ताज महल
1. ताज महल का ख्वाहिस रखता हू....
षीष महल की तेरे लिये ख्वाहिस रखता हू....
तुम मुमताज से कहां कम हो....
सिर्फ तेरे लिये षाहजहां होने की ख्वाहिस रखता हूं....
2. समाज की बेडियों से खूद को जूदा कर डाला....
माना की मूमकिन है ताज ना हो....
मगर तेरे नाम से अए मुमताज...
एक आसियाने को महल कर डाला...
3. चलो ताज का दीदार करू.....
प्यार के मंदिर को नजरों मे गिरफतार करू....
वो देख आसमान में दो दिल मिल रहे है....
आ तूझसे इतना प्यार करू.....
4. गुजरा जमाना याद आता है....
वो बिता अपषाना याद आता है...
जब भी देखू ताज को...
मोहब्बत वो पूराना याद आता है...
5. मोहब्बत में षाहजहां नाम कर गया....
बेपनाह मोहब्बत अपने नाम कर गया....
वाह क्या सून्दर है ताज कहते सभी....
अमर होकर सारे दिलों में नाम कर गया...
6. छूपकर तेरा आना...
वो ताज का बहना...
वाह क्या कहू...
मोहब्बत मे आपषाना....
क्या कहना....
7. ताज के नाम का परचा....
इष्क के इम्तेहान में चर्चा है....
वो देख षाह जहां जा रहे है....
मोहब्बत में ये चर्चा है....
8. मैने षाहो के मोहब्बत का भरम तोड दिया....
देख मैने भी एक आसियाना बना रखा है...
एक ताज महल पर फक्र करता है...
मैने लाखों ताज बनाकर यु ही छोड दिया....
9. पत्थर में मुरत है....
किसी मूरत में पत्थर है...
ताज है जो कितनी खूबसूरत है....
उसमें मोहब्बत की सूरत है....
10. तूझमें मुमताज नजर आऐ...
मेरे आसियाने में ताज नजर आऐ.....
षहांषाह को भरम हे ताज का....
मुझे हर घर में ताज नजर आऐ...