गरिबी
1. षहरों के नजर फाके फिरता हू....
दोपहर हो या षाम.....
दो वक्त की रोटी के फिराक में....
दर दर मारा मारा फिरता हू....
2. राह में काटे उठाता हू...
दर्द सिने मे दबाता हू....
गरिब हू पर मेहनत कस हू....
खुद का बोझ उठाता हू....
3. यु गरिबी से ना बाते किया करो....
माना की महलों में रहते हो...
गरिब के आंखों में सपने ना दिया करे....
4. वे रूक गये....
जाना जिन्हे दूर है....
वो झूक गये....
जिन्हे उठना दूर है....
5. मेरी बेकरारी का इम्तेहान ले रहा है.....
वो मुझसे गरिबी का पहचान ले रहा है...
मै यू ना फिकर हुआ...
वक्त मेरा रास्तों का निषान ले रहा है....
6. माहौल षान है....
षायद सहर में एकांत है...
फूटपात में भी गुजारा हू राते कई....
याद वो पल तमाम है....
7. हाल खुद बेहाल है....
गरिबी का ये हाल है.....
चादर से निकते पैर है...
मस्त ये बेंिफकरी का हाल है.....
8. काष कोई गरीब ना होता...
भुखे पेट कोई ना सोता...
वो भी कहता मै भी कहता...
काष कोई गरीब ना होता...
9. वो हिसाब मांग रहा है....
गरीबी का खाब मांग रहा है...
वो भी अजिब है...
गरीब से गरीबी मांग रहा है....
10. वो रंजिनी है...
वो नभ की रंगनी है....
माकूल है हर सवाल उसके...
वो ही जीवन संगिनी है....