अपषाना
1. बयां क्या करू दिल कि बाते....
कूछ अपषाने है कूछ मुलाकातें...
खत भी कूछ पन्नेां में भर जाते है...
क्या बयान करू दिल की बाते...
2. मै भी अब जवां हो गया...
सूना हू की मै फना हो गया...
ये फसाना किसका है ये पता नही...
अपषानों में फिर से षायराना हेा गया....
3. वो यूं अपषाने बनाती है...
मै खामेाष रहू तो हसाती है...
माना की राज तो वेा करती है दिल मे...
तनहां रहू तो पगली खुब याद आती है....
4. मेरा मेाहब्बत में नाम हो गया....
अपषानों में मेरा पहचान हो गया....
लब छू गया था तब...
कि दिवाना सा मै हेा गया....
5. उसके अपषानों में मेरा नाम रहता है...
लबों पर उसके मेंरा नाम रहता है...
गलि में जब भी गुजरू मेरा चर्चा आम रहता है....
6. अपषाना लिखने निकला था कभी...
बाहों में भरने चला था कभी...
वो दूर से ही षरमा गई...
उसके लबों को छूने चला था कभी....
7. वो आई और चली गई....
दिल की बाते दिल में दबि रह गई...
अब तो अपषाने ही है....
वो किसी और के संग चली गई.....
8. खत में उसके अपषाने हेाते है....
दिल के सारे पैमाने होते है....
कभी हो जाऊ देर तो...
उसके पास लडने के हजार बहाने होते हैं.....
9. षाम आजकल तेरे गलि में हेाता हैं...
चर्चा भी अपना तेरे गलि मे हेाता है....
अब तो ये अपषाने आम है...
मेरा पता भी घर वालों केा तेरी गलि से होता है....
10.एक अपषाना याद आया....
प्यार में गुजरा जमाना याद आया...
इस कदर डूबा था इष्क में...
वो प्यार का तराना याद आया...