खुदा
1.राम कहू या रहीम...
कृपा तेरे है असिम... मेरे मालिक इतना बता...
तेरा दर है कितना हसिन...
2. क्या हूआ है तेरे बासिंदों केा मालिक....
सब आपस में टकराते है...
कोई भगवा कोई हरा कितने रंगों मंे बटजाते है....
तू तो एक ही है ये केाई इन बासिंदों को समझाएं...
3.मेरे खुदा इतना करम करदे....
कोई ना हो यहां तबाह इतना रहम करदे....
माना की हमने ही बाटे है मजहब...
सब हेा सुखी इतना करम करदे.....
4.तू तो एक ही है पर क्यों परदादारी है...
ईष्वर अल्लाह के नाम पर क्यो दावेदारी
किसी ने ना मजहबी ठप्पा देख है...
हिन्दू मुस्लिम के चोगा पर क्यों दावेदारी है....
5.राज ये भी है वो खामोष है....
बनाके बासिंदे वो खामोष है....
मिल लेता हू उस रब से...
होते जब लब खामोष है...
6.षिकायत बहूत है मेरे खूदा किससे करू....
नाम से तेरे लुट रहे बंदे किससे कहू...
गरिबों केा आज भी इंतेजार है तेरा..
मेरे आराध्य आप आ रहे है कैसे कहू...
7. बट रहा है समाज खुदा खैर करे....
टुट रहा है समाज खूदा खैर करे...
मिट रहा है इंसानियत खूदा खैर करें..
सब तरफ हो चैन अमन खूदा खैर करें...
8. एक पुश्प लेके आया हू...
दर पर तेरे मै फिर आया हूं...
एक ही माग है वही करने आया हूं...
अमन हो जहां में ये दरख्वास करने आया हूं...
9.खूदा के करम में चल तेा सही...
दो पल यकिन कर खूद पर घर से निकल तो सही...
मिल जायेगें नामुमकिन मंजिल भी....
मेरे दोस्त एक बार हौसला करतो सही...
10. एक पैगाम खुदा के नाम लिखा हैं....
खत में हाल-ए-बयां लिखा हैं...
नजर आये वो सारे मंजिल जो मेरे हो...
दोस्तों चिन्ता ना करना खत में सबका नाम लिखा हैं....