आग
1. आग फैला है षहर में....
धूआ धूआ सब खाक है....
वो देख तेरा घर भी सूलग रहा है.....
ओ जुबां से आग लाने वाले....
मेरा भी घर खाक है....
आग फैला है षहर में....
धूआ धूआ सब खाक है....
2. हर आंच मे सभंल जाऊ....
इसलिए एक पहरा लगा रखा है....
किसमें कितना है आग...
ये हम भी जानते है...
नजर आते है सबके अंदर की आग....
ऐसा हमने भी चस्मा बनवा रखा है....
3. तिमारदारी करते थे मेरे...
वो सब धूल कर आ गये....
बडे बेवकूफ थे सारे के सारे...
आग से टकराने चले थे...
सारे मोम के सब घूल कर आ गये....
4. एक आग है....
जो घर बसाती है.....
एक आग वो भी है....
जो घर जलाती है...
आग किसने लगाई....
इसकी परवाह ना कर...
वक्त है सब दिखती है...
5. आग से लडने चला हू...
फिर मिलू ना मिलू...
माफ करना भूल सभी दोस्त...
लावा-ए-पर्वत पर चढने चला हूं....
6. एक आग लगी है दिल में....
तेरे इंतेजार की आष जगी है दिल में....
माना की नही आओगी...
लब से इष्क की प्यास जगी है दिल में....
7. वो आग तेरे दिल में है...
वो आग मेरे दिल में हैं...
तुम कहती नही फिर भी समझता हू...
जो इरादे तेरे दिल में हैं...
8. लगे जो आग तो दिल जलता है...
आग से रिस्तो का महल जलता है...
दूर रहना मेरे देास्त...
सूना हू दूस्मनों से ज्यादा दोस्त जलता है...
9. आग के खोह में.....
सब जल रहा है.....
देख देास्त केा देखकर...
मेरा दूष्मन जल रहा है....
10. आग में इतना दाव नही...
जला सके मूझे इतना लाव नही...
हम तो सोला है...
सोला को जलादे इतना आग का पाव नहीं....